मनोरंजन के लिये बनने वाली हमारी हिन्दी फिल्मों में कोई गीत ऐसा भी बन
जाता है जो जीवन के विभिन्न अवसरों के अलग-अलग अर्थों में सटीक फिट बैठता है ।
व्हाट्सअप के प्रसार से प्राप्त इस गीत की बानगी जीवन के विभिन्न पडावों के अनुसार
देखिये-
पहले 15 वर्ष की उम्र तक-
नैनों में सपना...
16 से 25 वर्ष की उम्र तक-
सपनों में सजना...
25 से 35 वर्ष की उम्र तक-
सजना पे दिल आ गया...
35 से 45 वर्ष की उम्र तक-
क्यूँ सजना पे दिल आ गया ???
45 वर्ष के बाद-
ता थैया, ता थैया हो.....