शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी



         फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है  वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था पागी । वैसे इनका वास्तविक नाम रणछोड़दास रबारी रहा है और उपनाम पागी याने  वो मार्गदर्शक व्यक्ति जो रेगिस्तान में रास्ता दिखाए ।  इन्हीं रणछोड़दास रबारी को फील्डमार्शल सैम मानिक शॉ पागी के नाम से बुलाते थे । गुजरात के बनासकांठा ज़िले के पाकिस्तान सीमा से सटे गाँव पेथापुर गथड़ों के रहवासी रणछोड़दास रवारी वहाँ भेड़बकरी व ऊँट पालन का काम करते थे ।

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              इनमें पैरों के निशानों को इतनी सटीकता से पहचानने का हुनर था जिसके मुताबिक वे ऊँट के पैरों के निशान देखकर बता देते थे कि उस पर कितने आदमी सवार रहे हैं । इन्सानी पैरों के निशान देखकर वज़न से लेकर उम्र तक का अन्दाज़ा लगा लेते थे । कितनी देर पहले का निशान है तथा कितनी दूर तक गया होगा सब एकदम सटीक आकलन ऐसे कर लेते थे जैसे कोई कम्प्यूटर गणना कर रहा हो । उनकी इस विशेषता और क्षेत्रीय स्तर पर इनकी आवश्यकता के मुताबिक इनके 58 वर्ष की उम्र में बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक वनराजसिंह झाला ने उन्हें पुलिस के मार्गदर्शक के रूप में रख लिया था ।

        किंतु इनके इस हुनर की वास्तविक उपयोगिता 1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध में दिखी । जिसके बारे में सैम मानिक शॉ ने स्वयं बताया कि 1971 में जब भारत युद्ध जीत चुका था और जनरल मानेक शॉ ढाका में थे तब उन्होंने आदेश दिया कि पागी को बुलवाओ,  डिनर आज उसके साथ करूँगा ! तब इन्हें लाने हेलिकॉप्टर भेजा गया । हेलिकॉप्टर पर सवार होते समय पागी की एक थैली नीचे रह गईजिसके लिए हेलिकॉप्टर वापस उतारा गया । अधिकारियों ने नियमानुसार हेलिकॉप्टर में रखने से पहले थैली खोलकर देखी तो दंग रह गएक्योंकि उसमें दो रोटीप्याज तथा बेसन का एक पकवान (गाठिया) भर था । डिनर में भी उसमें से एक रोटी सैम साहब ने खाई एवं दूसरी पागी ने ।

          1965 में युद्ध के आरम्भ में पाकिस्तान सेना ने भारत के गुजरात में कच्छ सीमा स्थित विधकोट पर कब्ज़ा कर लिया,  इस मुठभेड़ में लगभग 100 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे तथा भारतीय सेना की एक 10000 सैनिकों वाली टुकड़ी को तीन दिन में छारकोट पहुँचना आवश्यक था । तब रणछोडदास पागी की पहली बार आवश्यकता पड़ी थी ! रेगिस्तानी रास्तों पर अपनी पकड़ की बदौलत उन्होंने सेना को निर्धारित समय से 12 घण्टे पहले मंजिल तक पहुँचा दिया था । सेना के मार्गदर्शन के लिए उन्हें सैम साहब ने खुद चुना था तथा सेना में एक विशेष पद सृजित किया गया था 'पागीअर्थात पग याने पैरों का जानकार ।

            भारतीय सीमा में छिपे 1200 पाकिस्तानी सैनिकों की location तथा अनुमानित संख्या केवल उनके पदचिह्नों से पता कर भारतीय सेना को बता दी थी,  बस इतना काफ़ी था भारतीय सेना के लिए वो मोर्चा जीतने के लिए ।

          1971 युद्ध में सेना के मार्गदर्शन के साथ-साथ अग्रिम मोर्चे तक गोला-बारूद पहुँचवाना भी पागी के काम का हिस्सा था । पाकिस्तान के पालीनगर शहर पर जो भारतीय तिरंगा फहरा था उस जीत में पागी की भूमिका अहम थी । सैम साहब ने उस वक्त 300/- रु.  का नक़द पुरस्कार उन्हें अपनी जेब से दिया था ।

     सेना में इनकी उपयोगीता के आधार पर उत्तर गुजरात के सुईगाँव अन्तर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र की एक बॉर्डर पोस्ट को रणछोड़दास पोस्ट नाम दिया गया । यह पहली बार हुआ कि किसी आम आदमी के नाम पर सेना की कोई पोस्ट हो,  साथ ही वहाँ उनकी मूर्ति भी लगाई गई हो । इसके अलावा पागी को 65  71 के युद्ध में उनके योगदान के लिए - संग्राम पदक,  पुलिस पदक व समर सेवा पदक नामक तीन विशिष्ट सम्मान भी मिले  

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         27 जून 2008  को सैम मानिक शॉ की मृत्यु हुई तथा 2009 में पागी ने भी सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्तिले ली । तब पागी की उम्र 108 वर्ष थी ! जी हाँआपने सही पढ़ा. 108 वर्ष की उम्र में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ! सन् 2013 में 112 वर्ष की आयु में पागी का निधन हो गया ।

       आज भी वे गुजराती लोकगीतों का हिस्सा हैं । उनकी शौर्यगाथाएँ युगों तक गाई जाएँगी । अपनी देशभक्ति,  वीरता,  बहादुरी,  त्याग,  समर्पण तथा शालीनता के कारण भारतीय सैन्य इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए रणछोड़दास रबारी यानि हमारे 'पागी


भारत को जानें,  भारतीय शख्सियत को जाने... 
What’sApp  द्वारा साभार


रविवार, 28 जून 2020

कोरोना काल में सुरक्षा के लिये आराम करो...

        अभी-अभी कोविद टास्क फोर्स के प्रमुख की बहुत गंभीर खबर आई है जिसके अनुसार  भारत ने कोरोना संक्रमण के 3रे चरण में प्रवेश कर लिया है । इसका मतलब यह कि अब हर जगह कोरोना संक्रमण बगैर  किसी ट्रेसिंग के आप तक भी आसानी से पहुंच सकता है । इससे बचने के लिये अगले 10-15 दिन विशेष सतर्कता से जीने के लिये घर से बाहर ना के बराबर ही निकलने का प्रयास करें ।

        बचाव की बेहतर रणनीति के लिये मेरे वॉटसएप पर प्राप्त इस मनोरंजक कविता को मैं आपके साथ शेअर कर रहा हूँ जो वैसे तो आलसी लोगों की मनोस्थिति के अनुकुल है किंतु वर्तमान समय में बचाव के लिये भी यही पर्याप्त उपर्युक्त होगी ।

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आराम करो

एक मित्र मिले, बोले, "लाला तुम किस चक्की का खाते हो ?
इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो ।
क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में,  मनहूस अक्ल से काम करो ।
संक्रान्ति-काल की बेला है,  मर मिटो, जगत में नाम करो ।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो ।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो ।

आराम ज़िन्दगी की कुंजी,  इससे न तपेदिक होती है ।
आराम सुधा की एक बूंद,  तन का दुबलापन खोती है ।
आराम शब्द में 'राम' छिपा, जो भव-बंधन को खोता है ।
आराम शब्द का ज्ञाता तो, विरला ही योगी होता है ।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ,  मेरे अनुभव से काम करो ।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर,  आराम करो,  आराम करो ।

यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो ।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो ।
करने-धरने में क्या रक्खा, जो रक्खा बात बनाने में ।
जो होंठ हिलाने में रस है,  वह कभी न हाथ हिलाने में ।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में ।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा, जो रक्खा है सो जाने में ।


मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं,  उनसे कतराया करता हूँ ।
दिए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ ।
जो मिलता है,  खा लेता हूँ,  चुपके सो जाया करता हूँ ।
मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो, बेफ़िक्री से सोते हैं ।

अदवायन खिंची खाट में जो, पड़ते ही आनंद आता है ।
वह सात स्वर्ग,  अपवर्ग,  मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है ।
जब 'सुख की नींद'  कढ़ा तकिया,  इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में,  इंजन जैसा लग जाता है ।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ,  बुद्धि भी फक-फक करती है ।
भावों का रस हो जाता है,  कविता सब उमड़ी पड़ती है ।

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मैं औरों की तो नहीं,  बात पहले अपनी ही लेता हूँ ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को, ऊँटों की उपमा देता हूँ ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो, खटिया में गीत फूटते हैं ।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते, छंदों के बंध टूटते हैं ।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो ।
यह खाट बिछा लो आँगन में,  लेटो,   बैठो, आराम करो ।

संकलन - पराग जैन.



बुधवार, 8 अप्रैल 2020

यमराज का भ्रमण भारत देश में...

यमराज भारत-भ्रमण
यमराज भ्रमण

      कल रात सपने में मुझे मृत्युलोक से यमराज का ये खत भारतवासियों के लिये पढ़ने को मिला जिसे मैं आप सबके लिए उन्हीं की भाषा शैली में यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ...

मेरे प्यारे मृत्युलोक के वासियों, नमस्कार...!

      मैं यमराज यमलोक से भारत आया हूँ । अभी हाल ही में होली व रंगपंचमी के त्यौंहार निकले हैं । यमलोक में इस बार आनुपातिक रुप से भारतीय जनता नहीं थी तो मैं आप सबसे मिलने भारत आया हूँ । इस समय यमलोक में आपकी कमी खल रही है । वहाँ भारत की जनसंख्या कम होने की वजह से मैं परेशान हूँ । इसलिये में कोरोना वायरस को साथ लेकर भारत आया हूँ । यमराज होने के नाते मेरा फर्ज है कि में आपको ओर आपके परिवार को मौत देकर अपने साथ यमलोक ले जाऊं ।


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        लेकिन मुझे रास्ते मे आपके भगवान मिल गए थे उन्होंने मुझे साफ तौर पर निर्देश दिया है कि जो लोग अपने घरों में कैद हैं तुम उन्हें नही छुओगे । तब मैंने उनसे निवेदन किया कि प्रभु जो लोग घरों के बाहर हैं क्या उनको ओर उनके परिवार के अन्य सदस्यों को कोरोना की मौत देकर ले जा सकता हूँ । तब प्रभु ने कुछ शर्तों के साथ मुझे इसकी इजाजत दे दी है । इसलिए मैं भारत आकर सबसे पहले हवाई अड्डों पर गया और वहां कुछ लोगो को कोरोना दे दिया है ।

        उन्होंने पूरे भारत मे कोरोना का प्रचार बखूबी किया है । अब भारत मे हर जगह हर कोने में मेरे दूत कोरोना के रुप में पहुंच चुके हैं । भारत के राज्यो की राजधानी में मेरे वाहन तैयार खड़े हैं । बस परेशानी यही है कि आपके देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बाधा बनकर मेरे रास्ते मे खड़े हैं, उन्होंने आप सबको घरों में कैद कर दिया है ।

लापरवाही की सजा
        पर मेरे लिए संतोष की बात ये है कि भारत मे बहुत से लोग नरेंद्र मोदी की बात नहीं मानते हुए घरों से बाहर निकल कर हमारे पास आ रहे हैं । हमने उनको जकड़ लिया है और उनके परिवारों को भी अपनी गिरफ्त में ले  लिया है ।ऐसा मेरे दूतों ने मुझे बताया है । अब जल्द ही उन्हें अपने वाहन में बैठाकर मृत्युलोक पहुंचाने की हमने पुख्ता तैयारी कर ली है ।

        मैं यहां बोर हो रहा हूँ क्योंकि भारत मे ट्रेनों सहित समस्त सार्वजनिक ट्रांस्पोर्टेशन बन्द कर दिये हैं । जिसकी वजह से मुझे यहां दो तीन महीने रुक कर ही आप सबको ले जाना सम्भव है । मैं आपसे भी अपने साथ चलने की अपील कर रहा हूँ । आप बस एक बार घर से निकल आएं, मेरे कोरोना दूत आपका ओर आपके परिवार का आपके घर के बाहर इंतजार कर रहे हैं ।

        आप चिंता ना करें मैं आपमें से किसी को भी अकेले नही ले जाऊंगा । मेरा वादा है कि आपके साथ आपके पूरे परिवार को साथ ले चलूंगा । आपके परिवार में छोटे बच्चे, महिलाएं, पिता-माता बहनें सभी हैं जिनकी यमलोक में जगह बना दी गई है, बस आप घर से निकल कर मेरा ये संदेश सभी को दें । में वादा करता हूँ आपके पूरे परिवार को कोरोना की मौत मिल जाएगी ।

        अंत में सभी से पुनः विनती है आप सब अपने-अपने घरों से निकलें, अपने प्रधानमंत्री की बातों में आकर अपनी इस ईच्छा का गला न घोटें । वैसे भी एक दिन तो आखिर आपको यमलोक आना ही है तो आज ही क्यों नही । आप मेरी बातों को गम्भीरता से लें ओर मेरे साथ मेरे वाहन में कोरोना सहित यमलोक चलें ।

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        एक बात और बतानी थी मेरे दूत कोरोना की वजह से जब आप ओर अपका परिवार मृत्यु को प्राप्त होगा तो उनको कोई अपना जलाने वाला नही मिलेगा, सबके मृत शरीरों को ध्वस्त व्यवस्था में बड़ी बुरी तरह से जलाया या दफनाया जाएगा । इसकी आपको चिंता करने की जरूरत नही । आपके परिजनों में से नुक्ता खाने तो दूर कोई कंधा देंने भी नहीं आएगा । बस इतना ही कहूंगा आप घर से सिर्फ एक बार बाहर आकर भीड़ में आ जाएँ, वहाँ हम अपने कोरोना साथियों सहित आपका इंतजार कर रहे हैं ।

आपकी प्रतीक्षा में आपका अगला भविष्य
 यमराज
पता यमलोक
अस्थायी पता- आपके घर के बाहर, भारत
फोन नम्बर 0325

        दोस्तों- इस पत्र को गम्भीरता से लेते हुए अपनी ओर अपने परिवार की रक्षा करें, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की बातों को गंभीरता से समझते हुए अपने-अपने घरों में रहें । हाथ जोड़कर आप सभी से विनम्र अपील है की अपने घरों में ही रहे घर से बाहर ना निकले । अपनी और अपने परिवार की रक्षा करना आपका दायित्व है उनके भविष्य से खिलवाड़ ना करें, कृपया घर में रहें । अगर मेरे द्वारा कुछ कठोर शब्द आपको इस खत में पढ़ने को मिले हों तो मैं माफी चाहता हूं । मेरा मकसद आपको डराना नहीं बल्कि आने वाले खतरे से आपको सचेत करना है ।

यमराज से बचाव के लिये
मृत्युलोक में बचाव
        प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन तक अपने घरों में रहने की आपको हिदायत दी है जो अब गुजरने वाली है और अभी स्थिति काबू में नहीं आई है, अतः अभी भी यदि मोदीजी आपसे आपके भले के लिये फिर कोई प्रतिबंध यदि लगावें तो उसे भी गंभीरता से लें । देश में काम कर रहे चिकित्सकों, स्वास्थ्य से संबंधित स्टाफ के कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों और अधिकारियों द्वारा बनाई जा रही व्यवस्थाओं का पालन करें, सभी नियमों को माने और अपने घरों में सुरक्षित रहें । जय हिंद...

घनश्याम वैष्णव इंदौर
चारभुजा सेवा मंडल
सेवा संघ मुम्बई

रविवार, 23 फ़रवरी 2020

भगवान भोलेनाथ का साम्राज्य...




      वैसे तो समूचि सृष्टि पर ही भगवान का साम्राज्य रहता है किंतु इस बार महाशिवरात्रि पर विख्यात ज्योतिर्लिंगों के संदर्भ में ऐसी रोचक जानकारी सामने आई है जिसे में आपके साथ भी साझा कर रहा हूँ ।

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       भारत में ऐसे शिवमंदिर हैं जो केदारनाथ से लगाकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये हैं । केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 कि.मी. की दूरी है । लेकिन ये सारे मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते हैं । हज़ारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयोग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया यह आज तक रहस्य ही है ।

     उत्तराखंड में केदारनाथ,  तेलंगाना में कालेश्वरम,  आंध्रप्रदेश में कालहस्ती, तमिलनाडू में एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को उपर के चित्रानुसार 79° E 41’54” Longitude  की भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है । यह सारे मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में शिवलिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे हम सामान्य भाषा में पंचभूत यानी जल, थल, नभ, वायु और अग्नि कहते हैं । इन्हीं पंचतत्वों के आधार पर इन पांचों शिवलिंगों की प्रतिस्थापना की गई है । इनमें-

जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल में
      तिरूवनिक्का मंदिर के अंदर जलवसंत से पता चलता है कि यह जल लिंग है ।

थल (पृथ्वी) का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम में
      कांचीपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पता चलता है कि वह पृथ्वी लिंग है ।

नभ या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में
      चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान के निराकारता यानी आकाश तत्व का पता लगता है ।

वायु का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में
     श्री कालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है ।

अग्नि का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में
     अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से पता चलता है कि वह अग्नि लिंग है ।

इस प्रकार ये पांचों मंदिर वास्तु-विज्ञान-वेद के अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ।

       भौगॊलिक रूप से इन मंदिरों का करीब चार हज़ार वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांश को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक भी उपलब्ध नहीं थी, तब कैसे इतने सटीक रूप से इन पांचों मंदिरों को प्रतिस्थापित किया गया होगा इसका उत्तर भगवान ही जानें । 

      ब्रह्मांड के पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करनेवाले इन पांच शिवलिंगो को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिस्थापित किया जा चुका था, इस हेतु हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्दिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक थे जिसे आधुनिक विज्ञान भी समझ नहीं पाया है । 

     यह माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं अपितु इसी रेखा में अनेक मंदिर होगें जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते हैं । इस रेखा को शिवशक्ति अक्श रेखा  भी कहा जाता है । संभवता यह सारे मंदिर कैलाश को ध्यान में रखते हुए बनाये गये हैं जो 81.3119° E  में पड़ता है ।

     इन सभी ज्योतिर्लिंग का उज्जैन महांकाल से कितना महत्वपूर्ण सम्बन्ध है इसे आप उज्जैन से इनकी दूरी के साथ देखिये-

उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 कि.मी.

उज्जैन सेल्लिकार्जुन- 999 कि.मी.

उज्जैन से केदारनाथ- 888 कि.मी.
उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 कि.मी.
उज्जैन से सोमनाथ- 777 कि.मी.
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 कि.मी.
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 कि.मी.
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 कि.मी.
उज्जैन से बैजनाथ- 999 कि.मी.
उज्जैन से रामेश्वरम- 1999 कि.मी.
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      सामान्य जानकारी के मुताबिक वैसे भी उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिषिय गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी करीब 2050 वर्ष पहले बनाये गये हैं । करीब 100 साल पहले जब पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला । आज भी सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये वैज्ञानिक उज्जैन ही आते हैं ।
सोर्स – WhatsApp.


उज्जैन महांकाल की सुप्रसिद्ध प्रातःकालीन भस्मारती...



बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी.

सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी.
सावधान रहें - सुरक्षित रहें.

        जनसामान्य को ठगने व लूटने के जो नये-नये तरीके अपराधियों द्वारा ईजाद किये जा रहे हैं । उनमें जहाँ भी आपकी सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी. और तब आपके जान व माल दोनों की सुरक्षा खतरे में पड सकती है । यहाँ हम आपको क्राईम ब्रांच के पोलिस कमिश्नर द्वारा दी गई सुरक्षा जानकारी से अवगत करवा रहे हैं जिसके अनुसार-


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        यदि आप कहीं बस या ट्रेन के सफ़र में जा रहे हों तो सहयात्री के रुप में आपसे परिचय बढाकर आपको जहरमिश्रित खाने-पीने की वस्तु देकर आपको लूटा जा सकता है जिससे आपको बचना आवश्यक है, इसके अलावा भी इस दौरान यदि आपके पास कोई भिखारी आकर खाना मांगे तो आप भूलकर भी उसे खाना देने की गल्ति ना करें वरना ये दरियादिली आपके लिए मुसीबत बन सकती है ।

        आजकल ऐसे ट्रैंड भिखारियों के गैंग चल रहे हैं जो आपसे खाना मांगते हैं और ज्यों ही उनका कोई सदस्य उस में से कुछ खाता है वो मुंह से झाग निकालते हुए तड़पने का नाटक करने लग जाता है फिर उस गिरोह के अन्य सदस्य आपसे मारपीट पर उतारु हो जाते हैं और पुलिस केस में फ़ंसाने की धमकियां देते हैं । इसमें इनकी सेटिंग वहां के पुलिस वालों से भी होती है और वे आप से जबरन एक मोटी रकम वसूल कर सकते हैं । इसलिये अच्छा होगा कि आप बचा हुआ खाना किसी कुत्ते को डाल दें लेकिन भूलकर भी ऐसे भिखारियों को न दें ।

        दूसरे यदि आप रात में गाड़ी चला रहे हैं और कोई आपके WINDSCREEN पर अंडा फेंक दे तो कार की जांच के लिए गाडी रोकें नहीं और ना ही गाडी के  वाइपर संचालित करते हुए किसी भी तरह का पानी विंडस्क्रीन पे ना डालें,  क्योंकि अंडे के साथ मिश्रित पानी दूधिया बन जाता है जो आपकी दृष्टि को 92.5% तक के लिए ब्लॉक कर देता है । फिर आपको मजबूरन गाडी को सड़क के किनारे लगाकर रोकना पड़ता है जहाँ आप पहले से घात लगाकर बैठे अपराधियों के चंगुल में फँस जाते हैं । यह इनकी ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग आजकल हाईवे पर अपराधिक गिरोहो द्वारा बहुतायद में किया जा रहा है । अतः कृपया अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी सतर्कता से संबंधित यह जानकारी अवश्य शेअर करें ।

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लूटपाट का एक और दिलचस्प तरीका इस वीडिओ में भी अवश्य देखें-


                

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...