मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

जाकि रही भावना जैसी... (लघुकथा)

        एक गांव के बाहर एक महात्मा की कुटिया पर आकर एक अन्जान व्यक्ति ने उनसे पूछा- मेरे गांव में अकाल पड गया है । गांव छोडकर दूसरा ठिकाना बनाना आवश्यक हो गया है, क्या मैं इस गांव में शरण ले सकता हूँ ? यहाँ कैसे लोग रहते हैं

       
महात्मा ने उत्तर देने के पूर्व उस व्यक्ति से पूछा- जिस गांव से तुम आ रहे हो वहाँ कैसे लोग रहते थे ?

       
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया- महाराज वहाँ तो दुर्जन लोग ही ज्यादा रहते थे ।

       
महात्मा ने तब उत्तर दिया- भैया यहाँ भी ऐसे ही लोग ज्यादा रहते हैं, आप चाहें तो यहाँ आकर रह सकते हैं । महात्मा का जवाब सुनकर वह व्यक्ति आगे चला गया । 

        
कुछ समय बाद एक और व्यक्ति वहाँ पहुँचा और अपने गांव की आपदा बताते हुए उसने भी महात्मा से यही पूछा कि महाराज यहाँ ठिकाना बनाने से पहले मैं आपसे ये जानना चाहता था कि इस गांव में कैसे लोग रहते हैं ?

       
महात्मा ने उससे भी वही प्रतिप्रश्न किया कि जिस गांव से तुम आ रहे हो वहाँ कैसे लोग रहते थे ?

       
तब उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि महाराज मेरे उस गांव में एक-दूसरे को सहयोग करने वाले सज्जन व्यक्ति ही ज्यादा रहते थे ।

       
महात्मा ने तब उत्तर दिया- भैया यहाँ भी ऐसे ही लोग ज्यादा रहते हैं । आप चाहें तो यहाँ आकर रह सकते हैं । 

क्या किसी विस्तृत भावानुवाद की आवश्यकता यहाँ दिखती है ?

9 टिप्‍पणियां:

JAGDISH BALI ने कहा…

सुन्दर रचना

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बिल्‍कुल नहीं दिखती। बहुत ही प्रेरक कथानक है।

अनुपमा पाठक ने कहा…

प्रेरक कथा!
मन की भावना के अनुरोप ही सांसारिक छवियाँ भी आकार लेती हैं!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत खूब । सकारत्मक सोच ही मनुष्य को सुखी जीवन दे सकती है ।

अजय कुमार झा ने कहा…

सुंदर संदेश देती पोस्ट सुशील जी

मेरा नया ठिकाना

Sushil Bakliwal ने कहा…

धन्यवाद आप सभी का. आभार...

The Serious Comedy Show. ने कहा…

उपदेशात्मक सुन्दर रचना.

मंजुला ने कहा…

बहुत बढ़िया और सही .....सुंदर संदेश देती पोस्ट

आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढ़िया

आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...