उतना ही काटें जितना चबाया जा सके अर्थात्
उतना ही काम हाथ में लें जितना पूरा कर सकें.
किसी के काम में तब तक दखल न दें जब तक कि
आपसे उस बाबद कुछ पूछा नहीं जाए.
माफ करना और कुछ बातों को भूल जाना भी सीखें.
हर कार्य में पहचान पाने की लालसा न रखें.
ईर्ष्या (जलन) की भावना से दूर रहें.
हर सुबह अपना कायाकल्प कीजिए-
15 मिनिट योगासन+10 मिनिट प्राणायाम+15 मिनिट ध्यान=
जीवन में आरोग्य,
आनंद और उत्साह की मौजूदगी.
माहौल के मुताबिक खुदको ढालने का प्रयास करें.
अपने नियमित संपर्कों में जो लोग बदल नहीं सकते
उन्हें सहन करना सीखें.
किसी काम को टालने से बचें
और ऐसा भी कोई काम न करें, जिससे बाद में पछताना पडे.
दिमाग को यथासंभव खाली न रहने दें.
क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है.
2 टिप्पणियां:
उपयोगी सलाह..
अच्छी बातें। आज़माकर जीवन को स्वर्णिम बना सकने योग्य।
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