मैं
पैसा हूँ...
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते, मगर जीते जी मैं
आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ ।
मैं
पैसा हूँ...
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें
।
मैं
पैसा हूँ...
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते ।
मैं
पैसा हूँ...
मैं नमक की तरह हूँ, जो
जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है ।
मैं
पैसा हूँ...
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था, मगर फिर भी वो मरे तो उनके लिए कोई रोने वाला भी नहीं था ।
मैं पैसा हूँ...
मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर
मैं निर्धारित करता हूँ, कि
लोग आपको कितनी इज्जत देते है ।
मैं
पैसा हूँ...
मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ । आपके पास नहीं हूँ तो आपका
नहीं हूँ ।
मगर मैं आपके पास हूँ तो आपकी चाही सभी वस्तुएँ आपकी हैं ।
मैं पैसा हूँ...
मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ, मगर असली औऱ पुरानी
बिगाड़ भी देता हूँ ।
मैं
पैसा हूँ...
मैं सारे फसाद की जड़ हूँ,
मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं ।
क्यों ? विचार कीजिये...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें