इन दिनों WhatsApp पर भारत के आम इन्सान की सोच व समस्या
से मिलती-जुलती एक पोस्ट देखने में आ रही है । पसन्द आने पर मैं इसे अपने इस ब्लॉग
पर भी शेअर कर रहा हूँ, उम्मीद है यदि आपने
पहले इसे न देखा होगा तो आपको भी पढने में शायद अच्छी लगेगी...
यह नदियों का मुल्क
है, पानी भी भरपूर है ।
बोतल में बिकता है, पन्द्रह रू शुल्क है ।
यह गरीबों का मुल्क
है, जनसंख्या भी भरपूर है
।
परिवार नियोजन मानते
नहीं, नसबन्दी नि:शुल्क है
।
यह अजीब मुल्क है, निर्बलों पर हर शुल्क है ।
अगर आप हों बाहुबली, हर सुविधा नि:शुल्क है।
यह अपना ही मुल्क है, कर कुछ सकते नहीं।
कह कुछ सकते नहीं, बोलना नि:शुल्क है।
यह शादियों का मुल्क
है, दान दहेज भी खूब है ।
शादी को पैसा नहीं तो, कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं ।
यह पर्यटन का मुल्क
है, रेलें भी खूब हैं ।
बिना टिकट पकड़े गए
तो, रोटी कपड़ा नि:शुल्क
है ।
यह अजीब मुल्क है, हर जरूरत पर शुल्क है ।
ढूंढ कर देते हैं लोग, सलाह नि:शुल्क है ।
यह आवाम का मुल्क है, चुनने का हक है ।
वोट देने जाते नहीं, मतदान नि:शुल्क है ।
यह शिक्षकों का मुल्क
है, पाठशालाएं भी खूब है,
शिक्षकों को वेतन के
पैसे नहीं, पढ़ना, खाना, निःशुल्क
है ।
विसंगतियों में आम
आदमी-
सर के बाल उडे तो
दवाई ढूँढता है..,
जब उग जावे तो नाई
ढूँढता है..,
काले रहते हैं तो
लुगाई ढूँढता है
सफ़ेद हो जाएँ तो डाई
ढूँढता है ।
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