ससुराल से पहली बार
वापस आई बेटी अपनी माँ को ससुराल के बडे परिवार की समस्याओं के बारे में लगातार
परेशान होकर बता रही थी कि मैं तो सबसे तालमेल बैठाते हुए परेशान हो चुकी हूँ ।
मैं कितनी भी कोशिश करुँ किसी न किसी को मुझसे शिकायत दिख ही जाती है । समझ मैं
नहीं आता सबके साथ कैसे निबाह कर पाऊँगी ।
माँ ने बेटी को बताया- ये सभी चीजें समान स्थिति में गर्म पानी से होकर गुजरी हैं, लेकिन असर सब पर अलग-अलग हुआ है । तुम इनमें से किसके जैसी हो, गाजर जो वैसे तो कठोर दिखती है लेकिन बुरा समय आते ही नर्म पड जाती है, या अंडा जो गर्म पानी के कारण खुदको परिवर्तित कर लेता है, या फिर काफी की तरह हो जो गर्म पानी का भी रंग बदल सकती है । जैसे-जैसे पानी गर्म होता गया उसकी खुशबू भी चारों ओर फैलती चली गई ।
बेटी को अपनी समस्याओं का समाधान मिल गया और वह नई उर्जा के साथ अपने ससुराल जाने की तैयारी करने लगी ।
किचन में बेटी की बात
सुनते-सुनते माँ ने तीन बर्तनों में पानी भरकर आँच पर चढाया फिर एक बर्तन में गाजर
डाली, दूसरे में एक अंडा डाला और तीसरे बर्तन में
काफी के बीज डाल दिये । पन्द्रह-बीस मिनिट के बाद उसने तीनों बर्तनों को आँच से
उतारकर एक-एक बर्तन को बेटी से जांचने को कहा । बेटी ने पहले गाजर को परखा, वह पानी में उबलकर बहुत नर्म हो गई थी । दूसरे
बर्तन से अंडे के बाहरी आवरण को हटाकर देखा तो उसका अन्दर का तरल पदार्थ कठोर हो
गया था । एकमात्र काफी थी जिस पर उस आंच का कोई असर नहीं हुआ बल्कि उसने पानी का
रंग भी बदल दिया था और उस पानी में काफी की खुशबू भी आने लगी थी ।
माँ ने बेटी को बताया- ये सभी चीजें समान स्थिति में गर्म पानी से होकर गुजरी हैं, लेकिन असर सब पर अलग-अलग हुआ है । तुम इनमें से किसके जैसी हो, गाजर जो वैसे तो कठोर दिखती है लेकिन बुरा समय आते ही नर्म पड जाती है, या अंडा जो गर्म पानी के कारण खुदको परिवर्तित कर लेता है, या फिर काफी की तरह हो जो गर्म पानी का भी रंग बदल सकती है । जैसे-जैसे पानी गर्म होता गया उसकी खुशबू भी चारों ओर फैलती चली गई ।
बेटी को अपनी समस्याओं का समाधान मिल गया और वह नई उर्जा के साथ अपने ससुराल जाने की तैयारी करने लगी ।
9 टिप्पणियां:
बहुत ही उपयोगी सीख।
jabab nahi aapka.....itni achchi upma di hai.......
bahut hi badia..........
bahut hi badia
अच्छा सन्देश !
वाह बहुत ही सुन्दर और संदेशपरक लघुकथा।
सुन्दर प्रेरणादायक लघु कथा ।
Sunder Sheekh
सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
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