शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

तमाशबीन या प्रयासरत


             एक गांव में आग लगी । सभी लोग उसको बुझाने में लगे हुए थे । वहीं एक चिड़िया अपनी चोंच में पानी भरती और आग में डालती, फिर भरती और फिर आग में डालती । एक कौवा डाल पर बैठा उस चिड़िया को देख रहा था । कौवा चिड़िया से बोला - "अरे पागल तू कितनी भी मेहनत कर ले,  तेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी ।"

             चिड़िया विनम्रता से बोली  "मुझे पता है मेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी, लेकिन जब भी इस आग का ज़िक्र होगा, तो मेरी गिनती आग बुझाने वालों में होगी और तुम्हारी तमाशा देखने वालों में होगी"।

            ऐसे ही समाज में हम सब भी कभी-कभी कौए की तरह यह कह/सोच कर अपना बचाव करते हैं कि 'अकेले हम समाज/देश को नही सुधार सकते, अकेले हमसे क्या होगा' ।

             सब जानते हैं कि मुश्किल है लेकिन क्या यह उचित नहीं है कि जब-जब भी गिनती हो और हमारा नाम लिया जाय तो समाज के उत्थान करने वालों में हो न कि तमाशा देखने वालों में ।


ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...