रविवार, 23 फ़रवरी 2020

भगवान भोलेनाथ का साम्राज्य...




      वैसे तो समूचि सृष्टि पर ही भगवान का साम्राज्य रहता है किंतु इस बार महाशिवरात्रि पर विख्यात ज्योतिर्लिंगों के संदर्भ में ऐसी रोचक जानकारी सामने आई है जिसे में आपके साथ भी साझा कर रहा हूँ ।

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       भारत में ऐसे शिवमंदिर हैं जो केदारनाथ से लगाकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये हैं । केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 कि.मी. की दूरी है । लेकिन ये सारे मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते हैं । हज़ारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयोग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया यह आज तक रहस्य ही है ।

     उत्तराखंड में केदारनाथ,  तेलंगाना में कालेश्वरम,  आंध्रप्रदेश में कालहस्ती, तमिलनाडू में एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को उपर के चित्रानुसार 79° E 41’54” Longitude  की भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है । यह सारे मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में शिवलिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे हम सामान्य भाषा में पंचभूत यानी जल, थल, नभ, वायु और अग्नि कहते हैं । इन्हीं पंचतत्वों के आधार पर इन पांचों शिवलिंगों की प्रतिस्थापना की गई है । इनमें-

जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल में
      तिरूवनिक्का मंदिर के अंदर जलवसंत से पता चलता है कि यह जल लिंग है ।

थल (पृथ्वी) का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम में
      कांचीपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पता चलता है कि वह पृथ्वी लिंग है ।

नभ या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में
      चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान के निराकारता यानी आकाश तत्व का पता लगता है ।

वायु का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में
     श्री कालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है ।

अग्नि का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में
     अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से पता चलता है कि वह अग्नि लिंग है ।

इस प्रकार ये पांचों मंदिर वास्तु-विज्ञान-वेद के अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ।

       भौगॊलिक रूप से इन मंदिरों का करीब चार हज़ार वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांश को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक भी उपलब्ध नहीं थी, तब कैसे इतने सटीक रूप से इन पांचों मंदिरों को प्रतिस्थापित किया गया होगा इसका उत्तर भगवान ही जानें । 

      ब्रह्मांड के पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करनेवाले इन पांच शिवलिंगो को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिस्थापित किया जा चुका था, इस हेतु हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्दिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक थे जिसे आधुनिक विज्ञान भी समझ नहीं पाया है । 

     यह माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं अपितु इसी रेखा में अनेक मंदिर होगें जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते हैं । इस रेखा को शिवशक्ति अक्श रेखा  भी कहा जाता है । संभवता यह सारे मंदिर कैलाश को ध्यान में रखते हुए बनाये गये हैं जो 81.3119° E  में पड़ता है ।

     इन सभी ज्योतिर्लिंग का उज्जैन महांकाल से कितना महत्वपूर्ण सम्बन्ध है इसे आप उज्जैन से इनकी दूरी के साथ देखिये-

उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 कि.मी.

उज्जैन सेल्लिकार्जुन- 999 कि.मी.

उज्जैन से केदारनाथ- 888 कि.मी.
उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 कि.मी.
उज्जैन से सोमनाथ- 777 कि.मी.
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 कि.मी.
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 कि.मी.
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 कि.मी.
उज्जैन से बैजनाथ- 999 कि.मी.
उज्जैन से रामेश्वरम- 1999 कि.मी.
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      सामान्य जानकारी के मुताबिक वैसे भी उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिषिय गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी करीब 2050 वर्ष पहले बनाये गये हैं । करीब 100 साल पहले जब पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला । आज भी सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये वैज्ञानिक उज्जैन ही आते हैं ।
सोर्स – WhatsApp.


उज्जैन महांकाल की सुप्रसिद्ध प्रातःकालीन भस्मारती...



बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी.

सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी.
सावधान रहें - सुरक्षित रहें.

        जनसामान्य को ठगने व लूटने के जो नये-नये तरीके अपराधियों द्वारा ईजाद किये जा रहे हैं । उनमें जहाँ भी आपकी सावधानी हटी कि आपके साथ दुर्घटना घटी. और तब आपके जान व माल दोनों की सुरक्षा खतरे में पड सकती है । यहाँ हम आपको क्राईम ब्रांच के पोलिस कमिश्नर द्वारा दी गई सुरक्षा जानकारी से अवगत करवा रहे हैं जिसके अनुसार-


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        यदि आप कहीं बस या ट्रेन के सफ़र में जा रहे हों तो सहयात्री के रुप में आपसे परिचय बढाकर आपको जहरमिश्रित खाने-पीने की वस्तु देकर आपको लूटा जा सकता है जिससे आपको बचना आवश्यक है, इसके अलावा भी इस दौरान यदि आपके पास कोई भिखारी आकर खाना मांगे तो आप भूलकर भी उसे खाना देने की गल्ति ना करें वरना ये दरियादिली आपके लिए मुसीबत बन सकती है ।

        आजकल ऐसे ट्रैंड भिखारियों के गैंग चल रहे हैं जो आपसे खाना मांगते हैं और ज्यों ही उनका कोई सदस्य उस में से कुछ खाता है वो मुंह से झाग निकालते हुए तड़पने का नाटक करने लग जाता है फिर उस गिरोह के अन्य सदस्य आपसे मारपीट पर उतारु हो जाते हैं और पुलिस केस में फ़ंसाने की धमकियां देते हैं । इसमें इनकी सेटिंग वहां के पुलिस वालों से भी होती है और वे आप से जबरन एक मोटी रकम वसूल कर सकते हैं । इसलिये अच्छा होगा कि आप बचा हुआ खाना किसी कुत्ते को डाल दें लेकिन भूलकर भी ऐसे भिखारियों को न दें ।

        दूसरे यदि आप रात में गाड़ी चला रहे हैं और कोई आपके WINDSCREEN पर अंडा फेंक दे तो कार की जांच के लिए गाडी रोकें नहीं और ना ही गाडी के  वाइपर संचालित करते हुए किसी भी तरह का पानी विंडस्क्रीन पे ना डालें,  क्योंकि अंडे के साथ मिश्रित पानी दूधिया बन जाता है जो आपकी दृष्टि को 92.5% तक के लिए ब्लॉक कर देता है । फिर आपको मजबूरन गाडी को सड़क के किनारे लगाकर रोकना पड़ता है जहाँ आप पहले से घात लगाकर बैठे अपराधियों के चंगुल में फँस जाते हैं । यह इनकी ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग आजकल हाईवे पर अपराधिक गिरोहो द्वारा बहुतायद में किया जा रहा है । अतः कृपया अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी सतर्कता से संबंधित यह जानकारी अवश्य शेअर करें ।

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लूटपाट का एक और दिलचस्प तरीका इस वीडिओ में भी अवश्य देखें-


                

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

लक्ष्य पर ध्यान जीवन में कितना जरुरी है ?

लक्ष्य पर ध्यान दें
लक्ष्य पर ध्यान रखें

लक्ष्य पर ध्यान 

      बात चाहे अपने आस-पास की हो या दूरदराज के किसी क्षेत्र अथवा देश विदेश की, लेकिन जीवन में किसी उल्लेखनीय व्यक्ति की मुख्य उपलब्धियों तक पहुंचने की यात्रा को यदि ध्यान से देखा-समझा जावे तो यह बात अवश्य सामने आएगी कि उन्होंने कुछ भी हासिल करने के लिये पहले अपना गोल सेट किया, अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और फिर अपनी सारी ताकत अपने उस लक्ष्य को पूर्ण करने के प्रयास में लगा दी और तब वे निर्विवाद रुप से अपने लक्ष्य तक बिना किसी बाधा के पहुंच पाए ।

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      यह कतई जरुरी नहीं कि कोई शख्स किसी बडे अथवा बहुत बडे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रयासरत हो तभी यह नियम उपयोगी होता हो, बल्कि छोटे-छोटे लक्ष्य भी तब तक हासिल नहीं किये जा सकते जब तक हमारा अपने लक्ष्य पर ध्यान तब तक न बना रहे जब तक कि हम उसे हासिल न कर लें । अपने इस प्रयास में सामने आने वाली आपकी आलोचना भी आपके रास्ते में बाधक नहीं बनना चाहिए ।

लक्ष्य पर ध्यान से उपलब्धि.
लक्ष्य पर ध्यान से एकाग्रता वृद्धि.

लक्ष्य पर ध्यान से प्राप्त उपलब्धि-

      स्वामी विवेकानंद के जीवन की बेशुमार उपलब्धियों से शायद ही कोई अनभिज्ञ रहा हो आईये उनका जीवन-दर्शन इस उदाहरण से समझने का प्रयास करें- एक बार स्वामी विवेकानंद रेल से कही जा रहे थे । जिस कोच में वे यात्रा कर रहे थे, उसी कोच में कुछ अंग्रेज यात्री भी थे । उन अंग्रेजों को साधुओं से बहुत चिढ़ थी और वे अपने साथ भगवा वेशधारी यात्री को देख साधुओं की लगातार निंदा कर रहे थे और साथ वाले साधु यात्री याने स्वामी विवेकानंद को भी वे गालियां दे रहे थे । वे समझ रहे थे कि ये साधु तो अंग्रेजी नहीं जानतेइसलिए उन अंग्रेजों की बातों को नहीं समझ पावेंगे और इसी आधार पर उन अंग्रेजों ने आपसी बातचीत में साधुओं को कई बार भला-बुरा कहा । हालांकि उन दिनों हकीकत यह थी भी कि अंग्रेजी जानने वाले साधु प्रायः होते भी नहीं थे ।

      रास्ते में एक बड़ा स्टेशन आया । उस स्टेशन पर विवेकानंद के स्वागत में हजारों लोग उपस्थित थे,  जिनमे बडे-बडे विद्वान् एवं अधिकारी भी मौजूद थे । वहाँ उपस्थित लोगों को सम्बोधित करने के बाद अंग्रेजी में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर स्वामीजी अंग्रेजी में ही दे रहे थे । उन्हें इतनी अच्छी अंग्रेजी बोलते देख उन अंग्रेज यात्रियों को सांप सूंघ गया, जो रेल में उनकी बुराई कर रहे थे । अवसर मिलने पर वे विवेकानंद के पास आये और उनसे नम्रतापूर्वक पूछा- आपने हम लोगों की बातें सुनी । Sorry, आपको बहुत बुरा लगा होगा ?

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     तब स्वामीजी ने सहज शालीनता से कहा-  “मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना व्यस्त था कि आप लोगों की बात सुनी तो भी उन पर ध्यान देने और उनका बुरा मानने का मुझे अवसर ही नहीं मिला । स्वामीजी की जवाब सुनकर उन अंग्रेजो का न सिर्फ शर्म से सिर झुक गया बल्कि उन्होंने भी स्वामीजी के चरणों में झुककर उनकी शिष्यता स्वीकार कर ली ।

      इसलिये यदि जीवन में कुछ भी करने या पाने की चाह हमारे अंदर मौजूद हो तो हमें सदैव अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए ।

कला के क्षेत्र में लक्ष्य पर ध्यान की उपयोगिता-


      लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर चलने वाले इन कलाकारों को भी आप नीचे के इस वीडिओ में अवश्य देखिये जिन्होंने पशु-पक्षी व सडकों पर चलते वाहनों को सिर्फ अपनी आवाज के द्वारा कितने जीवंत अंदाज में यहाँ प्रस्तुत कर दिखाया है-


ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...