प्र.1- वेद
किसे कहते है ?
उत्तर-
ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.2- वेद-ज्ञान
किसने दिया ?
उत्तर- ईश्वर
ने दिया।
प्र.3- ईश्वर
ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर
ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.4- ईश्वर
ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर-
मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।
प्र.5- वेद
कितने है ?
उत्तर-
चार प्रकार के ।
1-ऋग्वेद, 2 - यजुर्वेद, 3- सामवेद, 4 - अथर्ववेद ।
Click & Read Also-
प्र.6- वेदों
के ब्राह्मण ।
वेद ब्राह्मण
1 - ऋग्वेद - ऐतरेय
2 - यजुर्वेद - शतपथ
3 - सामवेद - तांड्य
4 - अथर्ववेद - गोपथ
प्र.7- वेदों
के उपवेद कितने है।
उत्तर - वेदों
के चार उप वेद है ।
वेद उपवेद
1- ऋग्वेद
- आयुर्वेद
2- यजुर्वेद
- धनुर्वेद
3 -सामवेद
- गंधर्ववेद
4- अथर्ववेद
- अर्थवेद
प्र 8- वेदों
के अंग कितने होते है ?
उत्तर - वेदों
के छः अंग होते है ।
1 - शिक्षा, 2 - कल्प, 3 - निरूक्त, 4 - व्याकरण. 5 - छंद, 6 - ज्योतिष.
प्र.9- वेदों
का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर-
वेदों का ज्ञान चार ऋषियों को दिया ।
वेद ऋषि
1- ऋग्वेद
- अग्नि
2 - यजुर्वेद
- वायु
3 - सामवेद
- आदित्य
4 - अथर्ववेद
- अंगिरा
प्र.10- वेदों
का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर-
वेदों का ज्ञान ऋषियों को समाधि की अवस्था में दिया ।
प्र.11- वेदों
में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर- वेदों
मै सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान है ।
प्र.12- वेदो
के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- वेदों
के चार विषय है।
ऋषि विषय
1- ऋग्वेद - ज्ञान
2- यजुर्वेद - कर्म
3- सामवेद - उपासना
4- अथर्ववेद
- विज्ञान
प्र.13- किस
वेद में क्या है ?
ऋग्वेद
में।
1- मंडल - 10
2 - अष्टक - 08
3 - सूक्त - 1028
4 - अनुवाक - 85
5 - ऋचाएं - 10589
यजुर्वेद
में।
1- अध्याय - 40
2- मंत्र - 1975
सामवेद
में ।
1- आरचिक - 06
2 - अध्याय - 06
3- ऋचाएं
- 1875
अथर्ववेद
में ।
1- कांड
- 20
2- सूक्त - 731
3 - मंत्र - 5977
प्र.14- वेद
पढ़ने का अधिकार किसको है ?
उत्तर-
मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.15- क्या
वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- वेदों
में मूर्ति पूजा का विधान बिलकुल भी नहीं ।
प्र.16- क्या
वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर-
वेदों मै अवतारवाद का प्रमाण नहीं है ।
प्र.17- सबसे
बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- सबसे
बड़ा वेद ऋग्वेद है ।
प्र.18- वेदों
की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो
की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार
वर्ष पूर्व ।
प्र.19- वेद-ज्ञान
के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर-
1- न्याय
दर्शन - गौतम
मुनि।
2- वैशेषिक
दर्शन - कणाद
मुनि।
3- योगदर्शन - पतंजलि
मुनि।
4- मीमांसा
दर्शन - जैमिनी
मुनि।
5- सांख्य
दर्शन - कपिल
मुनि।
6- वेदांत
दर्शन - व्यास
मुनि।
प्र.20- शास्त्रों
के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की
उत्पत्ति, मुक्ति
अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.21- प्रामाणिक
उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- प्रामाणिक
उपनिषदे केवल ग्यारह है।
प्र.22- उपनिषदों
के नाम बतावे ?
उत्तर-
1-ईश ( ईशावास्य ), 2- केन, 3-कठ, 4-प्रश्न, 5-मुंडक, 6-मांडू, 7-ऐतरेय, 8-तैत्तिरीय, 9- छांदोग्य, 10-वृहदारण्यक, 11- श्वेताश्वतर
।
प्र.23- उपनिषदों
के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर-
उपनिषदों के विषय वेदों से लिए गए है !
प्र.24- चार
वर्ण कोन कोन से होते हैं
?
उत्तर-
1- ब्राह्मण, 2- क्षत्रिय, 3- वैश्य, 4- शूद्र ।
प्र.25- चार
युग कौन-कौन से होते है और कितने वर्षों के ।
उत्तर-
1- सतयुग
- 17,28000 वर्षों
का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों
का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों
का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों
का नाम है।
कलयुग
के 4,976 वर्षों
का भोग हो चुका है अभी 4,27,024 वर्षों
का भोग होना बाकी है।
प्र. पंच
महायज्ञ कोन -कोन से होते है !
उत्तर-
1- ब्रह्मयज्ञ, 2- देवयज्ञ, 3- पितृयज्ञ, 4- बलिवैश्वदेवयज्ञ, 5- अतिथियज्ञ
।
स्वर्ग - जहाँ
सुख है ।
नरक - जहाँ
दुःख है ।
Click & Read Also-
नवग्रहों
की अशुभता दूर करने के उपाय...
सूर्य- सूर्य
की अशुभता को दूर करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त में बेल की जड़ को खोदकर तत्पश्चात
उसे सूर्य मन्त्र से अभिमन्त्रित करके लाल कपड़े में लपेट कर दाहिनी भुजा में
बांधने से सूर्य अच्छा फल देने लगता है।
चन्द्र- चन्द्र को बलवान करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त में खिरनी की जड़ खोदकर तत्पश्चात उसे अभिमन्त्रित करके सफेद कपड़े में लपेटकर दिन सोमवार को लाकेट में भरकर गले में धारण करने से चन्द्र अशुभता में कमी आती है।
मंगल- मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए अनन्तमूल या खेर की जड़ को शुद्ध करके लाल कपड़े में लपेटकर दिन मंगलवार को दाहिने भुजा में बांधने से मंगल ग्रह मजबूत होकर शुभ फल देने लगता है।
बुध- बुध ग्रह बलवान करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त में विधारा की जड़ खोदकर तत्पश्चात उसे शुद्ध करके हरे रंग के धागे में लपेट कर गले में धारण करने से बुध ग्रह से सम्बन्धित अच्छा फल प्राप्त होने लगता है।
गुरू- गुरू ग्रह को मजबूत करने के लिए किसी अच्छे मुहूर्त में केले की जड़ को खोदकर तत्पश्चात उसे अभिमन्त्रित करके पीले कपड़े में बांधकर दिन गुरूवार को दाहिने भुजा में बाॅधने से गुरू ग्रह की अशुभता में कमी आती है।
शुक्र- शुक्र ग्रह को स्ट्रांग करने के लिए गूलर की जड़ को शुद्ध करके दिन शुक्रवार किसी लाकेट में डालकर पहनने से शुक्र ग्रह बलवान होकर अच्छे फल देने लगता है।
शनि- शनि देव को खुश करने के लिए शमी पेड़ की जड़ को किसी अच्छे मूहूर्त में शुद्ध करके नीले कपड़े में बाॅधकर धारण करने से शनि देव कृपा बरसने लगती है।
राहु- राहु की अच्छी कृपा पाने के लिए सफेद चन्दन का टुकड़ा नीले धागे में बांधने से राहु की अशुभता में आती है और लाभ होने लगता है।
केतु- केतु की अशुभता दूर करने के लिए अश्वंगधा पेड़ की जड़ को किसी शुभ मुहूर्त में अभिमन्त्रित करके नीले धागे में लपेट कर गले में धारण करने से केतु का शुभ फल मिलने लगता है ।
चन्द्र- चन्द्र को बलवान करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त में खिरनी की जड़ खोदकर तत्पश्चात उसे अभिमन्त्रित करके सफेद कपड़े में लपेटकर दिन सोमवार को लाकेट में भरकर गले में धारण करने से चन्द्र अशुभता में कमी आती है।
मंगल- मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए अनन्तमूल या खेर की जड़ को शुद्ध करके लाल कपड़े में लपेटकर दिन मंगलवार को दाहिने भुजा में बांधने से मंगल ग्रह मजबूत होकर शुभ फल देने लगता है।
बुध- बुध ग्रह बलवान करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त में विधारा की जड़ खोदकर तत्पश्चात उसे शुद्ध करके हरे रंग के धागे में लपेट कर गले में धारण करने से बुध ग्रह से सम्बन्धित अच्छा फल प्राप्त होने लगता है।
गुरू- गुरू ग्रह को मजबूत करने के लिए किसी अच्छे मुहूर्त में केले की जड़ को खोदकर तत्पश्चात उसे अभिमन्त्रित करके पीले कपड़े में बांधकर दिन गुरूवार को दाहिने भुजा में बाॅधने से गुरू ग्रह की अशुभता में कमी आती है।
शुक्र- शुक्र ग्रह को स्ट्रांग करने के लिए गूलर की जड़ को शुद्ध करके दिन शुक्रवार किसी लाकेट में डालकर पहनने से शुक्र ग्रह बलवान होकर अच्छे फल देने लगता है।
शनि- शनि देव को खुश करने के लिए शमी पेड़ की जड़ को किसी अच्छे मूहूर्त में शुद्ध करके नीले कपड़े में बाॅधकर धारण करने से शनि देव कृपा बरसने लगती है।
राहु- राहु की अच्छी कृपा पाने के लिए सफेद चन्दन का टुकड़ा नीले धागे में बांधने से राहु की अशुभता में आती है और लाभ होने लगता है।
केतु- केतु की अशुभता दूर करने के लिए अश्वंगधा पेड़ की जड़ को किसी शुभ मुहूर्त में अभिमन्त्रित करके नीले धागे में लपेट कर गले में धारण करने से केतु का शुभ फल मिलने लगता है ।