मंगलवार, 3 मई 2011

अनमोल बोल - 4. सुनने की आदत.

        
          सुनने की आदत डालो, क्योंकि दुनिया में कहने वालों की कमी नहीं है । कडुवे घूंट पी-पीकर जीने और मुस्कराने की आदत बना लो क्योंकि दुनिया में अब अमृत की मात्रा बहुत कम रह गई है । अपनी बुराई सुनने की खुदमें हिम्मत पैदा करो क्योंकि लोग तुम्हारी बुराई करने से बाज नहीं आएंगे । आलोचक बुरा नहीं है बल्कि वही तो जिंदगी के लिये साबुन-पानी का काम कर रहा है । आखिर जिन्दगी की फिल्म में खलनायक भी तो जरुरी है ।
मुनि श्री तरुण सागर जी.



7 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बहुत ही प्रेरक और सत्य वचन ... अनमोल वचन ...आभार

सुज्ञ ने कहा…

है तो सही!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कितनी सच बात कही है।

Udan Tashtari ने कहा…

प्रेरक

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut sunder .....achchi aur sachchi baat....

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

सत्य वचन !

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...