संसार का कोई भी पदार्थ अपने आप में अच्छा या बुरा
नहीं होता,
उसका अच्छा या बुरा होना, हितकारी या अहितकारी होना या लाभकारी या हानिकारक
होना उसके उपयोग,
उपयोग के उद्देश्य और उसके परिणाम पर निर्भर
होता है । उचित युक्ति और मात्रा के साथ प्रयोग करने पर जहर भी औषधि का काम करता
है, जबकि अनुचित मात्रा में किया गया स्वादिष्ट भोजन भी
विष (फूड पाईजन) का काम करता है । हमारे जीवन में कुछ ऐसी विषम परिस्थितियां
निर्मित होती हैं जो विष के समान हानिकारक सिद्ध होती हैं । ऐसी कुछ स्थितियां ये
भी हैं-
घी
और शहद समान मात्रा में मिलने पर विषतुल्य हो जाते हैं ।
खाया हुआ आहार ठीक
से न पचने पर विषतुल्य हो जाता है ।
वृद्ध पुरुष के लिये
युवा पत्नी विषतुल्य हो जाती है ।
कटु वचन बोलने से
वाणी विषतुल्य हो जाती है ।
विद्यार्थी के लिये
आलस्य विषतुल्य हो जाता है ।
तरुणी विधवा के लिये
कामवासना विषतुल्य हो जाती है ।
पत्नी के लिये
नपुंसक पति विषतुल्य हो जाता है ।
कुलटा और कर्कश
पत्नी पति के लिये विषतुल्य हो जाती है ।
भोगविलास में अति
स्त्री-पुरुष के लिये विषतुल्य हो जाती है ।
अवज्ञाकारी व मूर्ख
पुत्र, पिता
के लिये विषतुल्य हो जाता है ।
कर्ज लेते रहने वाला
व्यसनी पिता सन्तान के लिये विषतुल्य हो जाता है ।
मूढ और आलसी शिष्य
गुरु के लिये विषतुल्य हो जाता है ।
निर्धन के लिये
महत्वाकांक्षाएं विषतुल्य हो जाती हैं ।
और...
अति करना सभी जगह
विषतुल्य ही साबित होता है ।
9 टिप्पणियां:
haan 'ati sarwatr varjyet'.
बहुत प्रेरक और सार्थक पोस्ट..
बेशकीमती मोती का खजाना !
घी और शहद के बारे में जानकर आश्चर्य हो रहा है ।
बाकि ज्ञान की बातें धारण करने योग्य हैं ।
डा. टी. एस. दराल सर,
घी और शहद वास्तव में समान अनुपात में यदि मिला दिये जावें तो जहर ही हो जाते हैं । आयुर्वेद में ऐसे कई दवाईयों के योग होते हैं जिनमें घी और शहद का एक साथ प्रयोग होता है ऐसे में हमेशा 3:1 का अनुपात ही दोनों के मिश्रण का बनाया जाता है । ऐसे ही किसी भी गरम पदार्थ में यदि शहद मिला दिया जावे तो वो भी जहर समान हो जाता है अतः अतिरिक्त पौष्टिकता के लिये जब दूध में घी व शहद मिलाकर पीते हैं तो गरम दूध को पूरी तरह से कुनकुने से भी कम गर्म तापमान पर लाकर ही उसमें शहद मिलाते हैं ।
निर्धनता से बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं है।
अति किसी भी चीज़ की बुरी ही है....
प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
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अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
महत्वपूर्ण जानकारी....
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