एक गधे ने एक शेर को चुनौती दे दी कि मुझसे लड़ कर दिखा तो जंगल वाले तुझे राजा मान लेंगे | लेकिन शेर गधे की बात को अनसुना कर चुपचाप वहाँ से निकल गया |
एक लोमड़ी ने छुप कर ये सब देखा और सुना तो उससे रहा नहीं गया और वो शेर के पास जा कर बोली- क्या बात है ? उस गधे ने आपको खुली चुनौती दी, फिर भी आप उस से लड़े क्यों नहीं और ऐसे बिना कुछ बोले चुपचाप क्यों जा रहे हैं ?
शेर ने तब गंभीर स्वर में उत्तर दिया- मैं शेर हूँ, इस जंगल का राजा हूँ और हमेशा रहूँगा, सभी जानवर इस सत्य से परिचित हैं और मुझे इस सत्य को किसी को सिद्ध कर के नहीं दिखाना है | गधा तो है ही गधा, और हमेशा गधा ही रहेगा | गधे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब मैं उसके बराबर हुआ इसलिये मैं भी गधा । गधे की बात का उत्तर देना भी अपनी इज्जत कम करना है, क्योंकि उसके स्तर की बात का उत्तर देने के लिये मुझे उसके नीचे स्तर तक उतरना पड़ेगा और मेरे उस के लिये उससे नीचे के स्तर पर उतरने से उसका घमण्ड बढ़ेगा | मैं यदि उसके सामने एकबार दहाड़ दूँ, तो उसकी लीद निकल जायेगी और वो बेहोश हो जायेगा । अगर मैं एक पंजा मार दूँ, तो उसकी गर्दन टूट जायेगी और वो मर जायेगा | गधे से लड़कर मैं निश्चित रूप से जीत जाऊँगा लेकिन उस से मेरी इज्जत नहीं बढ़ेगी बल्कि जंगल के सभी जानवर बोलने लगेंगे कि शेर एक गधे से लड़ कर जीता- और एक तरह से यह मेरी बेइज्जती ही होगी | इन्हीं कारणों से मैं उस आत्महत्या के विचार से मुझे चुनौती देने वाले गधे को अनसुना कर के दूर जा रहा हूँ, ताकि वो जिंदा रह सके |
लोमड़ी को बहुत चालाक और मक्कार जानवर माना जाता है लेकिन वो भी शेर की इन्सानियत वाली विद्वत्तापूर्ण बातें सुन कर उसके प्रति श्रद्धा से भर गयी |
यह बोधकथा समझनी इस लिये जरूरी है कि जिन्दगी में आये दिन गधों से वास्ता पड़ता रहता है- और उनसे कन्नी काट कर निकल लेने में हमारी भलाई होती है |
शेर हमेशा ही गधों से लड़ने से कतराते आये हैं- इसीलिए गधे खुद को तीसमारखाँ और अजेय समझने लगे हैं |
4 टिप्पणियां:
सही है गधे तो गधे हैं उनके जैसे क्यों बनने चले ...लेकिन आजकल कम से कम शहर में तो उनकी ही चलती है खूब!
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर बोध कथा
वाह...बहुत खूब
सिखा गई ये कहानी
सादर
बिलकुस सही कहा .
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