अति व्यस्त व्यापारी पिता ने अपने युवा हो रहे पुत्र को हमउम्र दोस्तों में कुछ ज्यादा ही रुचि लेते देखा तो यह जानने की कोशिश में कि अपने दोस्तों के साथ इस उम्र में यह लडकियों में रुचि ले रहा है या ड्रिंक जैसे व्यसन में उलझ रहा है या फिर व्यापार में पैसे कमाने की ओर भी इनका रुझान चल रहा है, उसके घर आने के समय एकान्त कमरे में मेज पर सुन्दर लडकी की फोटोफ्रेम के साथ व्हिस्की की बाटल और नोटों की एक गड्डी रख दी और छुपकर उसकी गतिविधि को देखने लगा ।
पुत्र ने कमरे में घुसते ही Wou की मुद्रा में सिटी बजाते हुए लडकी के फोटो को उठाकर उसका चुम्बन लिया फिर बाटल खोलकर एक बडा सा घूंट व्हिस्की का मुंह में भरा और नोटों की गड्डी को जेब के हवाले करते हुए कमरे से बाहर निकल गया ।
16 टिप्पणियां:
हा हा, सही रस्ते जा रहा है बेटा,
पूर्ण चरम।
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
ऐसे होनहारों के माता-पिता पर क्या गुज़रती होगी...?
बहुत संवेदनशील चिंतनयुक्त कथा ...
कम शब्दों में सुंदर चिंतन..... बहुत बढ़िया
हम्म्म!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आधुनिकता का सही चित्रण!
जैसा प्रश्नपत्र होता है उसके उत्तर भी वैसे ही देने पड़ते हैं।
बहुत संवेदनशील ....सही चित्रण!
nai peedhi hai..........bhagwan bachaye.
aaj ki yuva pidi
यह नई पीढ़ी की हरकत है क्या किया जा सकता है ...इसीलिए पहले ही उन पर ध्यान रखना पडेगा...अन्यथा देर ही हो जाएगी..
yava putr ke interest par depend karta hai ki vo teeno ko chunta hai ya unme se koi ek....
युवावर्ग को सबकुछ चाहिय बस काम मत बताइए.
आपकी इस पोस्ट ने मुजे आपको अनुसरण करने को मजबूर कर दिया.
intelligent move.......
एक टिप्पणी भेजें