गर भला किसी का कर ना सको
तो बुरा किसी का मत करना,
तो बुरा किसी का मत करना,
अमृत न पिलाने को हो घर में
तो जहर पिलाते भी डरना ।
तो जहर पिलाते भी डरना ।
यदि सत्य मधुर न बोल सको
तो झूठ कटुक भी मत कहना
तो झूठ कटुक भी मत कहना
गर मौन रखो सबसे अच्छा,
विष-वमन कहीं भी मत करना,
विष-वमन कहीं भी मत करना,
यदि घर ना किसी का बना सको
तो झोपडिया न जला देना
तो झोपडिया न जला देना
यदि मरहम पट्टी कर न सको
तो खार नमक न लगा देना ।
तो खार नमक न लगा देना ।
जब दीपक बनकर जल न सको
तो अन्धकार भी मत करना
तो अन्धकार भी मत करना
जब फूल नहीं बन सकते तो,
कांटे बनकर भी बिखरना ना,
कांटे बनकर भी बिखरना ना,
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मानव बनकर सहला न सको
तो दिल भी किसी का दुखाना ना
तो दिल भी किसी का दुखाना ना
यदि देव नहीं बन सकते तो
दानव बनकर भी दिखाना ना ।
दानव बनकर भी दिखाना ना ।
यदि सदाचार अपना न सको
तो दुराचार भी मत करना.
गर भला किसी का कर ना सको तो दुराचार भी मत करना.
तो बुरा किसी का मत करना ।