एक्सप्रेस ट्रेन करीब-करीब खाली ही चल रही थी । वकील साहब जिस AC III कोच में बैठे थे उसमें भी बहुत कम यात्री थे और उनके वाले कूपे में तो उनके अलावा दूसरा कोई पैसेंजर नहीं था ।
तभी एक सजी-धजी संभ्रांत सी दिखती एक महिला उसी कोच में उनके सामने वाली बर्थ पर आकर मुस्कुराते हुए उनके सामने बैठी । वकील साहब ने भी उसकी मुस्कान के प्रतिउत्तर में अपनी ओर से मुस्कराहट दी और अपनी किताब पढने में तल्लीन हो गये ।
गाडी चलने के कुछ देर बाद वो महिला वकील साहब से बोली - "मिस्टर, चुपचाप अपनी चैन, पर्स, घड़ी व मोबाइल मुझे दे दो नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी कि, तुमने मेरे साथ छेड़खानी की है।"
वकील साहब ने शांति से अपने ब्रीफकेस से एक कागज निकाला और उसपर लिखा - "मैं मूक-बधिर हूँ, बोल और सुन नहीं सकता हूँ । आप क्या कह रही हैं कृपया लिखकर मुझे बताएँ ।"
महिला ने जो कहा था वो उसी कागज पर लिखकर पढने को दे दिया ।
बडी तसल्ली से वकील साहब ने उस कागज को मोड़कर हिफाजत से अपनी जेब में रखा और बोले-" हाँ, अब चिल्लाओ कि मैंने तुम्हारे साथ छेड़खानी की है । अब तुम्हारा लिखित बयान मेरे पास है।"
यह सुनते ही वह महिला सकते में आगई और वहाँ से अगली बोगी की तरफ मुँह छुपाते हुए ऐसी भागी जैसे कोई भूत उसके पीछे लग गया हो।
शिक्षा - कैसी भी विपरीत परिस्थिति हो यदि शांत चित्त रहकर उपाय सोचा जाए तो उससे अवश्य पार पाया जा सकता है ।
तभी एक सजी-धजी संभ्रांत सी दिखती एक महिला उसी कोच में उनके सामने वाली बर्थ पर आकर मुस्कुराते हुए उनके सामने बैठी । वकील साहब ने भी उसकी मुस्कान के प्रतिउत्तर में अपनी ओर से मुस्कराहट दी और अपनी किताब पढने में तल्लीन हो गये ।
गाडी चलने के कुछ देर बाद वो महिला वकील साहब से बोली - "मिस्टर, चुपचाप अपनी चैन, पर्स, घड़ी व मोबाइल मुझे दे दो नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी कि, तुमने मेरे साथ छेड़खानी की है।"
वकील साहब ने शांति से अपने ब्रीफकेस से एक कागज निकाला और उसपर लिखा - "मैं मूक-बधिर हूँ, बोल और सुन नहीं सकता हूँ । आप क्या कह रही हैं कृपया लिखकर मुझे बताएँ ।"
महिला ने जो कहा था वो उसी कागज पर लिखकर पढने को दे दिया ।
बडी तसल्ली से वकील साहब ने उस कागज को मोड़कर हिफाजत से अपनी जेब में रखा और बोले-" हाँ, अब चिल्लाओ कि मैंने तुम्हारे साथ छेड़खानी की है । अब तुम्हारा लिखित बयान मेरे पास है।"
यह सुनते ही वह महिला सकते में आगई और वहाँ से अगली बोगी की तरफ मुँह छुपाते हुए ऐसी भागी जैसे कोई भूत उसके पीछे लग गया हो।
शिक्षा - कैसी भी विपरीत परिस्थिति हो यदि शांत चित्त रहकर उपाय सोचा जाए तो उससे अवश्य पार पाया जा सकता है ।