बुधवार, 18 जनवरी 2017

गांव तुम्हारा - शहर हमारा...


          एक अमीर आदमी अपने बेटे को लेकर गाँव गया, ये दिखाने कि गरीबी कैसी होती है । गाँव की गरीबी दिखाने के बाद उसने अपने बेटे से पूछा - "देखी गरीबी ?"

            बेटे ने जवाब दिया - हमारे पास 1 dog है और उनके पास 10-10 गाये है । 

            हमारे पास नहाने की छोटी सी जगह है और उनके पास पूरे तालाब हैं ।

              हमारे पास बिजली है और उनके पास सितारे...

             हमारे पास जमीन का छोटा सा टुकडा है और उनके पास बडे बडे खेत......

             हम डिब्बे का पैक बासी खाना खाते हैं, और वो स्वयं उगाकर और ताजा तोडकर खाते हैं ।

             उनके पास अपने वास्तविक मित्र हैं । जबकि हमारे लिये बस कंप्यूटर ही हमारा मित्र है ।

             हमारे पास खुशियाँ खरीदने को पैसा है, उनके पास खुशियाँ है,  जिसके लिये उन्हें पैसे की जरुरत ही नहीं ।

             उनके पापा के पास बच्चों के लिऐ समय है पर पापा आपके पास समय ही नही है ।

              पापा एकदम चुप....!

            बेटे ने कहा ''Thanks पापा मुझे यह दिखाने के लिये कि हम कितने गरीब हैं...


6 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…

दिनांक 19/01/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...

कविता रावत ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ...
फिर भी शहर को भाग रहे हैं लोग ..
शहर में दिखावा ज्यादा है यह बात तो १०० फीसदी सच है

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति हरिवंश राय 'बच्चन' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बहुत ही सही सार्थक बात . बहुत खूब . सचमुच शहर में पैसा होने पर भी व्यक्ति गरीब है .

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ संध्या..
वारई हम हैं ही गरीब
सादर

Unknown ने कहा…

लाजबाव कहानी
गरीबी का सहीं अर्थ बहुत कम शब्दों में समझाया
http://savanxxx.blogspot.in

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...