दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे,
पास
पहुंचे तो देखा सारे खेत ब॑जर थे !
हम उनके पास से भी प्यासे लौटे,
जिनकी आ॑खो मे सदा प्यार
के समन्दर थे !
मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा,
कितने ही शैतान दिखे जो उनके अन्दर थे !
खुशी-खुशी उनके पहलू मे जा बैठे,
जिनके हाथो में कई खूनी ख॑जर थे !
वक्त की मार से बच सका है कौन भला,
मिल गये धूल मे जो कल तक सिकन्दर थे !
अज्ञात...
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कातिलाना नोकझोंक देखें इनकी शायरी में...
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