जब भगवान
सारी सब्जियों को उनके गुण व सुगंध बांट रहे थे तब प्याज उदास हो पीछे
खड़ी रही । सब चले गए पर प्याज नहीं
गई, वहीँ खड़ी रही । तब विष्णुजी ने पूछा- "क्या हुआ तुम क्यों नही जाती ?"
प्याज तब रोते हुए बोली-
"आपने सबको सुगंध
और सुंदरता जैसे गुण दिए पर मुझे दुर्गंध दी । जो भी मुझे खाएगा उसके मुँह से बदबू भी आएगी ।
मेरे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों ?"
भगवान
को प्याज पर दया आई, वे बोले- "मैं तुम्हे अपने शुभचिन्ह देता हूँ । यदि
तुम्हें खड़ा काटा गया तो तुम्हारा रूप शंखाकार होगा और यदि आड़ा काटा गया तो
चक्र का रूप होगा । यही नहीं सारी सब्जियों को तुम्हें साथ लेना होगा तभी
वे स्वादिष्ट लगेंगी और तुम्हें काटने पर लोगों के वैसे ही आंसू निकलेंगे
जैसे आज तुम्हारे निकले हैं और अंत में जब-जब धरती पर मंहगाई बढ़ेगी तब तुम सबको रुलाओगी ।
और दोस्तों... भगवान के
घर देर है, अंधेर नही.
माता व पिता की देन तो बहुत देखी अब कांदा की देन देखलो-
देख लो अब तो इसने फिटनेस-क्लब भी ज्वॉईन कर लिया है-
माता व पिता की देन तो बहुत देखी अब कांदा की देन देखलो-
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अब इससे ज्यादा और इसका सौभाग्य क्या हो सकता है ?
1 टिप्पणी:
मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
मैं भी ब्लॉगर हूँ
मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए
यहां क्लिक करें:- आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है !
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