शनिवार, 11 जनवरी 2020

मददगार...!

      सुबह जब में अपने घर से निकला, रास्ते के खंभे पर एक कागज चिपका देखकर जिज्ञासावश उसमें लिखा पढने रुका तो उसमें लिखा था, कल शाम अंधेरे की शुरुआत में मुझ गरीब का आखिरी 50/- रु. का नोट यहीं कहीं गिर गया है जिसे मैं नहीं ढूंढ पा रही हूँ । मेरे लिये वो कितना जरुरी था ये मैं किसी को बता भी नहीं सकती । यदि कभी आपको मेरा वो 50/- रु. का नोट मिल जावे तो कृपया अंदर की गली में खोली नं. 00 में लाकर दे दें, भगवान आपका भला करेंगें ।

      कुछ सोचते हुए मैंने अपनी जेब से 50/- रु. का नोट निकालकर अलग रखा और गली में इस खोली तक पहुँचा । वहाँ 75-80 वर्ष की एक कृषकाय अम्माजी दिखीं । मैंने उन्हें वो 50/- रु. का नोट देते हुए कहा कि आपका ये नोट मुझे मिला था और खम्भे पर आपका पत्र व पता देखकर मैं यहाँ आपको देने आया हूँ । मेरी बात सुनते ही वे अम्माजी रो पडीं और बोली- बाबूजी, न जाने कौन भला आदमी वहाँ ऐसा लिखकर टांग गया है, सुबह से कम से कम 10 लोग आकर मुझे जबरदस्ती 50/-, 50/-, रु. दे गये हैं । मेरे बहुत आग्रह करने पर उन्होंने मुश्किल से मुझसे वे 50/-, रु. ले लिये, लेकिन मुझसे बोली- बाबूजी आप मेहरबानी करके जाते-जाते वो चिट्ठी वहाँ से हटा देना । मैं उनको हाँ भरकर ही वहाँ से निकल पाया ।

     रोड पर आते हुए एक पल के लिये सोचा कि मैं वो चिट्ठी अब वहाँ से हटा दूं किंतु फिर यह सोचते हुए कि क्या मालूम किसने इनके लिये नेकी की ये राह चुनी है. मैं इसे यहाँ से हटाकर उसके इस नेक अभियान में क्यों बाधक बनूं । सोचते हुए मैं उस चिट्ठी को वहीं देखते हुए अपने रास्ते आगे बढ गया ।

अब इस मददगार फौज से मिलकर देखें कि ये गरीब ठंड से तो नहीं किंतु इन दानदाताओं के एहसान के बोझ से जरुर मर जाएगा-

और इस सुंदर से वीडिओ में देखिए मदद की इस उच्चतम भावना का 
पशु-पक्षियों तक में जीवंत प्रमाण...


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ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...