एक अनुभवी चित्रकार ने अपनी समझ के अनुसार प्रकृति का एक अत्यंत
खूबसूरत चित्र बनाया फिर यह सोचकर कि लोगों को इसमें क्या कमी दिख सकती है उस
चित्र को एक तूलिका और रंगों की प्लेट के साथ यह नोट लगाकर रख दिया कि यदि आपको
इसमें कोई कमी दिखे तो कृपया उसे सुधार दें । शाम को जब वह वापस अपने उस चित्र को
देखने गया तो यह देखकर बहुत दःखी हुआ कि वह चित्र अलग-अलग रंगों से बीसीयों स्थान
पर लोगों के द्वारा बिगाडा जा चुका था ।
उसने जब अपने मित्र को लोगों द्वारा की गई अपने चित्र की दुर्दशा के
बारे में बताया तो उस मित्र ने कहा कि लोगों की राय जानने का तुम्हारा तरीका ठीक
नहीं था अब तुम एक दूसरा चित्र बनाओ और एक कलम व नोटबुक के साथ यह नोट लगाकर रखो
कि यदि आपको इस चित्र में कोई कमी दिख रही हो तो कृपया इस नोटबुक में उसे लिख दें
और उचित समझें तो अपना परिचय भी उसीमें लिखदें जिससे कि चित्रकार आपकी सलाह के
मुताबिक चित्र में सुधार कर सके ।
उस चित्रकार ने ऐसा ही किया और एक दूसरा सुन्दर चित्र बनाकर कलम व
नोटबुक के साथ उसी जगह रखवा दिया । शाम को जब वह अपने चित्र पर लोगों की
प्रतिक्रिया समझने वहाँ गया तो यह देखकर अचंभित रह गया कि वह डायरी खाली पडी थी और
किसी भी ज्ञानी ने उस चित्र की किसी कमी का उल्लेख नहीं किया था ।
यह चित्र भी देखिये - ढुली हुई चाय में बसी हुई बस्ती.
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