गुरुवार, 16 जनवरी 2020

मनुष्य ही नहीं जानवरों में भी प्रभुभक्ति के भाव..


        किसी मस्जिद में एक नाग एक बिल में रहता था । प्रतिदिन पांच बार नमाज सुनताप्रतिदिन की तक़रीर भी ध्यान लगाकर सुनता था । एक दिन उसका मन हुआ कि नमाज की जब इतनी महिमा है तो एक दिन मैं भी नमाज पढ़ूं, शायद मुझे भी जन्नत मिल जाए ।

       यह सोचते हुए एक दिन नमाज के समय बाहर निकलकर नमाजियों की लाईन में लगने चल पड़ा । पर जैसे ही नमाजियों ने वहाँ नाग देखा तो डंडे लेकर उसे मारने दौड़ पडे, अब नाग आगे-आगे और नमाजी डंडे लेकर पीछे-पीछे भागे

       इधर भागते-भागते नाग को एक पुराना सा मंदिर दिखा । वो वहीं घुसकर शिवलिंग से लिपट गया और उसकी जान बच गई । इधर भक्तों ने जब शिवलिंग पर नाग लिपटा देखा कोतूहल सा मच गया, वहाँ भी भीड़ जमा हो गयी लेकिन इस भीड में लोग उसकी आरती-पूजा करने लगे और उसे ला-लाकर दूध पिलाने लगे ।
       अब नाग सोच रहा था कि मैं भी कहाँ फंसा पड़ा थामैं तो नमाज पढ़ना चाहता था पर उन्होंने लट्ठ लेकर दौड़ा दिया और मुझे पत्थर मारने लगे । यहाँ इन पत्थर के भोलेनाथ की शरण में दो घड़ी क्या आया स्वयं ही नाग से शेषनाग हो गया । शायद यही अंतर है इस्लाम और सनातन धर्म मे...


इधर देखें इन वानर राज को तल्लीनता पूर्वक अपनी ईषभक्ति में-


     और यहाँ यह U.P. का एक छोटा सा शिव मंदिर है जहाँ एक निश्चित समय पर प्रतिदिन एक बैल (नंदी) आकर परिक्रमा करता है और बिना किसी गिनती या जपमाला के किसी मशीन  की गणना के समान पूरी 108 प्रदक्षिणा यह नंदी लगाता है, जिन लोगों ने इसकी गिनती की हैं वे आश्चर्यचकित हैं...



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ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...