गर भला किसी का कर ना सको
तो बुरा किसी का मत करना,
तो बुरा किसी का मत करना,
अमृत न पिलाने को हो घर में
तो जहर पिलाते भी डरना ।
तो जहर पिलाते भी डरना ।
यदि सत्य मधुर न बोल सको
तो झूठ कटुक भी मत कहना
तो झूठ कटुक भी मत कहना
गर मौन रखो सबसे अच्छा,
विष-वमन कहीं भी मत करना,
विष-वमन कहीं भी मत करना,
यदि घर ना किसी का बना सको
तो झोपडिया न जला देना
तो झोपडिया न जला देना
यदि मरहम पट्टी कर न सको
तो खार नमक न लगा देना ।
तो खार नमक न लगा देना ।
जब दीपक बनकर जल न सको
तो अन्धकार भी मत करना
तो अन्धकार भी मत करना
जब फूल नहीं बन सकते तो,
कांटे बनकर भी बिखरना ना,
कांटे बनकर भी बिखरना ना,
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मानव बनकर सहला न सको
तो दिल भी किसी का दुखाना ना
तो दिल भी किसी का दुखाना ना
यदि देव नहीं बन सकते तो
दानव बनकर भी दिखाना ना ।
दानव बनकर भी दिखाना ना ।
यदि सदाचार अपना न सको
तो दुराचार भी मत करना.
गर भला किसी का कर ना सको तो दुराचार भी मत करना.
तो बुरा किसी का मत करना ।
14 टिप्पणियां:
बहुत ही खूबसूरत सन्देश दियें हैं आपने इस रचना के माध्यम से.... बहुत बढ़िया!
उत्तम विचार , अच्छा सन्देश देती हुई रचना , काश ! इस सन्देश का सब लोग पालन करते
सत्य वचन..हरेक पंक्ति एक प्रेरक सन्देश देती है..बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर, अच्छा सन्देश देती हुई रचना|
बहुत सुंदर ....सार्थक पंक्तियाँ हैं....
उम्दा रचना...
बहुत सुन्दर सन्देशमय रचना
सन्देशपरक प्रेरणादायक रचना....
हार्दिक बधाई...
बहुत सुन्दर, भला न हो सके तो किसी का बुरा भी न हो।
अच्छी भावपूर्ण रचना
आशा
क्या बात है दिल को छू गयी लेखनी
sadmarg par chalne kee raah dikhatee bhavpoorn rachana prarit kartee hai...
Aabhar
Bahut hin achchhi rachna ....sundar sandesh ke sath.
जहर पि जाइए और बाँटिये अमृत सबको...
जहर पिलाने से डरेंगे ही..सन्मार्ग ही उन्नति का वाहक है
बहुत सुन्दर कविता आभार
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