गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

रुप और गुण...



          सम्राट चंद्रगुप्त ने एक बार चाणक्य से कहा, चाणक्य, काश तुम खूबसूरत होते  ?

          चाणक्य ने कहा, 'राजन इंसान की पहचान गुणों से होती है, रूप से नहीं ।'

          तब चंद्रगुप्त ने पूछा - 'क्या कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हो जहां गुण के सामने रूप छोटा रह गया हो  ?

          तब चाणक्य ने राजा को दो गिलास पानी पीने को दिया । चंद्रगुप्त के पानी पीने के बाद चाणक्य ने कहा, 'पहले गिलास का पानी सोने के घड़े का था और दूसरे गिलास का पानी मिट्टी के घड़े का, आपको कौन सा पानी अच्छा लगा ।'

          चंद्रगुप्त बोले, 'मटकी से भरे गिलास का ।

          नजदीक ही सम्राट चंद्रगुप्त की पत्नी मौजूद थीं, वह इस उदाहरण से काफी प्रभावित हुई, उन्होंने कहा, 'वो सोने का घड़ा किस काम का जो प्यास न बुझा सके ।

          मटकी भले ही कितनी कुरुप हो, लेकिन प्यास मटकी के पानी से ही बुझती है, यानी रूप नहीं गुण महान होता है ।'

          इसी तरह इंसान अपने रूप के कारण नहीं बल्कि उपने गुणों के कारण पूजा जाता है ।

          रूप तो आज है, कल नहीं लेकिन गुण जब तक जीवन है तब तक जिंदा रहते हैं, और मरने के बाद भी जीवंत रहते हैं ।

          दिया मिट्टी का है या सोने का, यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि वो अंधेरे में प्रकाश कितना देता है यह महत्वपूर्ण है ।

          उसी तरह मित्र गरीब है या अमीर है, यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि वो तुम्हारी मुसीबत मे तुम्हारा कितना साथ देता है, यह महत्वपूर्ण है ।

शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

तमाशबीन या प्रयासरत


             एक गांव में आग लगी । सभी लोग उसको बुझाने में लगे हुए थे । वहीं एक चिड़िया अपनी चोंच में पानी भरती और आग में डालती, फिर भरती और फिर आग में डालती । एक कौवा डाल पर बैठा उस चिड़िया को देख रहा था । कौवा चिड़िया से बोला - "अरे पागल तू कितनी भी मेहनत कर ले,  तेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी ।"

             चिड़िया विनम्रता से बोली  "मुझे पता है मेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी, लेकिन जब भी इस आग का ज़िक्र होगा, तो मेरी गिनती आग बुझाने वालों में होगी और तुम्हारी तमाशा देखने वालों में होगी"।

            ऐसे ही समाज में हम सब भी कभी-कभी कौए की तरह यह कह/सोच कर अपना बचाव करते हैं कि 'अकेले हम समाज/देश को नही सुधार सकते, अकेले हमसे क्या होगा' ।

             सब जानते हैं कि मुश्किल है लेकिन क्या यह उचित नहीं है कि जब-जब भी गिनती हो और हमारा नाम लिया जाय तो समाज के उत्थान करने वालों में हो न कि तमाशा देखने वालों में ।


रविवार, 17 जुलाई 2016

ईश्वर आज अवकाश पर हैं...


ईश्वर आज अवकाश पर हैं, मंदिर की घंटी ना बजाइये ।

जो बैठे हैं बूढ़े - बुज़ुर्ग,  अकेले पार्क में ...
जाकर  उनके साथ कुछ समय बिताइये ।
ईश्वर आज अवकाश पर है, मंदिर की घंटी ना बजाइये ।

ईश्वर है पीड़ित परिवार के साथ, जो अस्पताल में आज परेशान है ...
उस पीड़ित परिवार की जाकर कुछ मदद कर आइये ।
ईश्वर आज अवकाश पर हैं, मंदिर की घंटी ना बजाइये।

एक चौराहे पर खड़ा युवक, काम की तलाश में है,
उसके पास जाकर, उसे नौकरी के अवसर दिलाइये ...
ईश्वर आज अवकाश पर हैं, मंदिर की घंटी ना बजाइये ...

ईश्वर है चाय कि दुकान पर, उस अनाथ बच्चे के साथ ...
जो, कप प्लेट धो रहा है,
पाल सकते हैं, पढ़ा सकते हैं, तो उसको आप पढ़ाइये ...
ईश्वर आज अवकाश पर हैं, मंदिर की घंटी ना बजाइये ।

एक बूढ़ी औरत, जो दर दर भटक रही है,
एक अच्छा सा लिबास जाकर उसे दिलाइये ...
हो सके तो, उसे किसी नारी आश्रम में छोड़ आइये ।
ईश्वर आज अवकाश पर हैं, मंदिर की घंटी ना बजाइये ।


शनिवार, 2 जुलाई 2016

विचित्र विशेष :

            गुजरात के सूरत शहर मे एक रेस्टोरेंट ने 1500/- की थाली लांच की है । इसका नाम है बकासूर थाली...



            और इस बकासूर थाली मे 100 प्रकार के आइटम हैं, जिनमे 55 प्रकार की शाकाहारी सब्जियां और 21 प्रकार की मिठाइयां शामिल है ।

            अब सरप्राइज ये है कि अगर कोई व्यक्ति इस बकासूर थाली के पूरे आइटम खा लेगा तो उसे रेंस्टोरेट की तरफ से 1 लाख रु. इनाम भी दिया जायेगा ।

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हिमालय  में खिला "नागपुष्प"

 

            बरसो बाद दिखाई दिया.... ये पुष्प शेषनाग की तरह दीखता है जो करीब 36 सालो में एक बार ही देखा जा सकता है ।
 
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केरल के कॉलेज मे जीन्स बैन करने के बाद... 


लडकियां लूँगी पहन कर आ गई, अब प्रशाशन पशोपेश में.

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            एक दिन दादी घर पर बैठीं थीं । तभी फोन की घण्टी बजी । फोन से बात करके दादी बहुत खुश हुईं क्योंकि पोते एवं पोती दादी से मिलने आ रहे थे । 
            दादी खुशी में झूम उठीं और बोली-  'हां, तुम लोग आ रहे हो तो ढेर सारी बातें करेंगे । और हां, मैं नाती को भी फोन करके बुला लेती हूँ। सब मिलकर खूब बातें करेंगे,  मजे करेंगे ।
            फिर सब लोग दादी से मिलने सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचे । आगे क्या होता है ? इसके लिए नीचे का फोटो देखिये-
  

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और ये हैं पर्यावरण पुरस्कार के...



असली हकदार...!
 

पुकार...


            एक कंस्ट्रक्शन साईड पर चलते काम में 6ठे माले पर मौजूद इंजीनियर ने सडक पर काम कर रहे एक कर्मचारी को आवाज दी जो काम के शोर के कारण नीचे मौजूद उस कर्मी ने नहीं सुनी । इंजीनियर ने उसे फिर आवाज दी, उसने फिर भी नहीं सुनी । इंजीनियर ने उसका ध्यान आकर्षित करवाने हेतु 10/- रु. का सिक्का नीचे उस कर्मचारी के पास फेंका जो ठीक उसके बगल में जाकर गिरा । नीचे मौजूद कर्मचारी ने उपर देखें बगैर वो सिक्का उठाकर अपनी जेब में डाल लिया और फिर अपने काम में लग गया । इस बार उपर मौजूद उस इंजिनीयर ने 500/- रु. का नोट उसके उपर छोटी सी घडी बनाकर फेंका, वह नोट भी उस कर्मचारी के बगल में जाकर ही गिरा । नीचे मौजूद उस कर्मचारी ने फिर उपर देखें बगैर वो नोट उठाकर अपनी जेब में डाला और फिर अपने काम में लग गया ।  अंततः उपर मौजूद इंजीनियर ने एक छोटा पत्थर उठाकर उस कर्मचारी पर फेंका जो उसके सर में जाकर लगा और तब उस नीचे मौजूद कर्मचारी की निगाहें उपर की ओर उठी । 

            वास्तविक जिंदगी में उपर मौजूद वह इंजीनियर ईश्वर है और नीचे मौजूद कर्मचारी हम स्वयं हैं । हम भी ईश्वर से प्राप्त समस्त नेमतें अपना अधिकार मानते हुए ग्रहण करते चले जाते हैं, किंतु ईश्वर को याद अथवा उनका शुक्रिया अदा नहीं करते । फिर जब वो हमें तकलीफरुपी पत्थर मारकर हमें जगाता है तब हम तत्काल उसकी ओर देखते हुए उनसे समस्या मुक्ति का मार्ग उपलब्ध करवाने हेतु मन्नत, निवेदन व नाना प्रकार के उपाय करने लगते हैं ।

             क्या यह उचित नहीं माना जाना चाहिये कि जब-जब भी किसी भी प्रकार की छोटी या बडी नेमतें प्राप्त हों चाहें वो हमें अपने काम का वास्तविक प्रतिसाद ही क्यों न लगता रहा हो, हम कुछ समय रुककर अपने उस ईश्वर का शुक्रिया अदा करें और फिर दुगने-जोशो-खरोश से अगली उपलब्धियों के लिये प्रयासरत हो जावें । सयाने और समझदार लोग तो सुबह उठते ही सबसे पहले ईश्वर को इसी लिये इस बात पर भी धन्यवाद देते हैं कि अपने जीवनकाल में ईश्वरकृपा से उन्हें एक और नया सूर्योदय देखने को मिल रहा है ।


            संकट में याद करने वालों से तो देश व दुनिया के अधिकांश मंदिर बीसीयों घंटे भीड से खचाखच भरे दिखते ही रहते हैं किंतु संकटकाल के बगैर भी यदि ईश्वर को याद करते रहने और उनका धन्यवाद अर्पित करते रहने का सिलसिला निर्बाध क्रम से हम जारी रख सकें तो हो सकता है कि विपत्तियों के बडे चक्र में फंसने की स्थिति ही कभी ना बनने पावे ।

            शायद इसी बात को संत कबीरदासजी ने यूं परिभाषित किया है-

दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय,
जो सुख में सुमिरन करें तो दुःख काहे को होय ।
 

शनिवार, 25 जून 2016

गौरवशाली इन्दौर...




            भारत के नक्शे पर कई शहर अपनी विशेष पहचान के कारण ही जाने जाते हैं, उन्हीं में यदि रानी अहिल्याबाई व सर सेठ हुकमचंद जैसी ऐतिहासिक शख्सियतों से जुडे इन्दौर शहर की बात की जावे तो चाहे यह शहर बम्बई, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास जैसे देश के महानगरों सा आकार नहीं रखता हो किंतु इसकी ऐतिहासिकता के साथ ही ऐसी अनेक विशेषतायें इस शहर के साथ शुरु से जुडी रही हैं जो इसे देश के नक्शे में एक विशिष्ट स्थान दिलवाते हुए इसकी पहचान को हमेशा से एक विशेष दर्जा सदैव दिलवाती रही हैं । 

            देश के सात राज्यों से सीधे जुडे मध्यप्रदेश के भी लगभग मध्य में राज्य की औद्योगिक व व्यापारिक राजधानी का दर्जा रखने के कारण अन्य प्रांतों से आकर बसने वाली आबादी का सर्वोच्च भार वहन करने वाले इस शहर की खासियतों का यदि जिक्र करना प्रारम्भ किया जावे तो वास्तव में लेख की लम्बाई तो बढती ही चली जाएगी किंतु यहाँ की विशेष पहचान के क्रम समाप्त होते नहीं दिखेंगे । फिर भी इस क्रम में यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे कौन-कौनसी प्रमुख विशेषताएँ हैं जो इस शहर को इसकी खासियतों के आधार पर इसे अन्यों से कुछ अलग दिखला सकने का कारण बनती हैं-

           
महान क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपने वनडे करियर की एकमात्र सेंचुरी इंदौर के नेहरू स्टेडियम में लगाई ।

            इन्दौर स्थित सैन्य छावनी MHOW (Military Headquarters Of War) देश की मुख्य सैन्य छावनियों में शामिल है ।

            जानकारी के अनुसार इन्दौर का नामकरण इन्द्रेश्वर मंदिर के नाम पर हुआ था, शुरूआत में यह "इन्दूर" था,जो आगे चलकर "इन्दौर" कहलाया ।

           
इन्दौर देश का एकमात्र शहर है जहाँ पर IIM एवं IIT दोनों है ।

           इन्दौर में एशिया की सबसे बड़ी रिहायशी कॉलोनी सुदामा नगर है ।

            देश के पहले निजी रेडियो चैनल "रेडियो मिर्ची" ने अपने प्रसारण की शुरुआत इन्दौर से की थी ।

            स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, फिल्म स्टार सलमान खान, क्रिकेट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और परम पूज्यनीय योग गुरु श्री मनीष शर्मा की जन्मभूमि भी इन्दौर है ।

            पूर्व में इन्दौर को  "म.प्र.का डेट्रॉयट"  नाम से नवाजा जा चुका है ।

         इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां 100 कि.मी. की रेंज में दो ज्योतिर्लिंग हैं-  1. ओंकारेश्वर  और  2. महाकालेश्वर ।

            इन्दौर स्थित आर आर कैट देश की मुख्य प्रयोगशालाओं में एक है । यहां एक्सलरेटर, क्रायोजेनिक्स सहित कई महत्वपूर्ण शोध हो रहे हैं ।

            टेस्ट क्रिकेट में एक टेस्ट में   सर्वाधिक विकेट लेने का  कीर्तिमान इंदौर के नरेन्द्र हिरवानी और बाब मैसी (आस्ट्रेलिया) के नाम पर संयुक्त रूप से दर्ज है । 
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            किसी महिला प्रत्याशी द्वारा एक ही लोकसभा सीट से एक ही पार्टी के टिकट पर सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान इन्दौर की सांसद और वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के नाम पर दर्ज ।

            विकास के शुरुआती वर्षों में इन्दौर "कपड़ा मिलों का शहर" के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन अब ये सभी मिलें बंद हो चुकी है ।

           
इन्दौर स्वाद के शौकीनों का शहर है । इसे "स्वाद की राजधानी" के रूप मे जाना जाता है ।

           
यहाँ पर एशिया के सबसे बड़े गणपति विराजमान हैं (बड़ा गणपति)

           
यहाँ पर संपूर्ण कांच से निर्मित मंदिर है । जहां पर छत, दिवार से लेकर फर्श भी कांच की है और ये सारे कांच  विदेशों से मंगाए गए थे ।

           
यहीं पर ही वीरेंद्र सहवाग ने 200 रन बनाये थे ।

           
यहीं के एक विधायक के नाम सबसे ज्यादा मतों से जितने का रिकार्ड है ।

           
यहीं की एक बेटी पलक मुछाल ने गाने गाकर सबसे ज्यादा हार्ट सर्जरी करवाई और यह क्रम अभी तक भी सतत जारी है ।

           
यहीं का एक ट्रैफिक पुलिस आज दुनिया का सबसे पसंदीदा ट्रैफिक पुलिस है । जिसे काम करते सभी देखना चाहते है । रणजीत सिंह ।

           
यहाँ पर स्थित दवा बाजार एशिया का सबसे बड़ा दवा बाजार है ।

           
यहीं पर एक ऐसा पर्वत है जहां पर पितरों की याद में पोधे लगाये जाते है । पितृ पर्वत ।

           
यही वो शहर है जहां मूक बधिरों की सेवा के लिए सबसे अच्छा स्कूल और ट्रेनिग कैंप है ।

           
यही वो शहर है जहाँ के एक व्यापारी सर सेठ हुकुमचंदजी (कॉटन किंग) की तस्वीर आज भी लंदन कॉटन एक्सचेंज में मुख्य द्वार पर लगी है ।

           
यहीं पर सर सेठ हुकुम चंद जी द्वारा स्वर्ण से निर्मित रथ है जो दुनिया में कही नहीं है और वो केवल महावीर जयंती पर ही निकलता है ।

           
मोबाईल कंपनी एयर टेल ने अपनी मोबाइल सेवा की शुरुवात  सर्व प्रथम इंदौर से ही की थी ।
 
            अनंत चतुर्दशी पर रात भर चलने वाले विशाल चल समारोह और रंगपंचमी पर दिन भर रंगों से सरोबार हुडदंगीयों की विशाल सामूहिक गेर जिनके फिल्मांकन के लिये राजश्री प्रॉडक्शन जैसी नामी-गिरामी फिल्म प्रोड्यूसर संस्थाएँ विशेष आयोजन रखती हैं वह भी इसी इन्दौर शहर की विशिष्ट पहचान रही है ।

बुधवार, 8 जून 2016

एक जमाना था...


            दादी माँ बनाती थी रोटी, पहली गाय की और आखरी कुत्ते की,  हर सुबह नन्दी आ जाता था,  दरवाज़े पर - गुड़ की  डली के लिए ।

            कबूतर का चुग्गा,  चीटियों का आटा, शनिवार, अमावस, पूर्णिमा का सीधा । सरसों का तेल गली में,  काली कुतिया के ब्याने पर, गुड़ चने का प्रसाद,  सभी कुछ  निकल जाता था । वो भी उस घर से, जिसमें भोग विलास के नाम पर एक टेबल फैन भी न होता था ।

            आज सामान से भरे घरों में - कुछ भी नहीं निकलता ! सिवाय लड़ने की कर्कश आवाजों के, या फिर टी वी की आवाजें...

             तब मकान चाहे कच्चे थे, लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे ।

            चारपाई पर  बैठते थे, दिल में प्रेम से रहते थे । सोफे और डबल बैड क्या आ गए ?  दूरियां हमारी बढा गए ।

            छतों पर. सब सोते थे, बात बतंगड खूब होते थे, आंगन में वृक्ष थे, सांझे सबके सुख दुख थे ।

            दरवाजा खुला रहता था, राही भी आ बैठता था, कौवे छत पर कांवते थे, मेहमान भी आते जाते थे ।

            एक साइकिल ही पास था, फिर भी मेल जोल का वास था, रिश्ते सभी निभाते थे, रूठते भी थे और मनाते भी थे ।

            पैसा चाहे कम था, फिर भी माथे पे कोई गम ना था, कान चाहे कच्चे थे, पर रिश्ते सारे सच्चे थे !

             अब शायद सब कुछ पा लिया है, पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया है...

शुक्रवार, 3 जून 2016

कॉलेज स्टुडेंट्स के लिये रतन टाटा के 10 महत्वपूर्ण सबक...


              1.  जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है, इसकी आदत बना लो.

             
            2.  लोग तुम्हारे स्वाभिमान की परवाह कभी नहीं करते,  इसलिए पहले खुद को  साबित करके दिखाओ.

          
             3.  कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते ही मोटे वेतन के बारे में मत सोचो, एक रात में कोई वाइस-प्रेसिडेंट नहीं बनता, इसके लिए अपार मेहनत पड़ती है.

              
            4.  अभी आपको अपने शिक्षक सख्त और डरावने लगते होंगे, क्योंकि अभी तक आपका अपने जीवन में बॉस नामक प्राणी से पाला नहीं पड़ा.

             
            5.  तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है, तुम्हारी पराजय सिर्फ तुम्हारी है, किसी को दोष मत दो, उस गलती से सीखो और आगे बढ़ो.

             
            6.  तुम्हारे माता पिता तुम्हारे जन्म से पहले इतने निरस और ऊबाऊ नही थे, जितना तुम्हें अभी लग रहा है, तुम्हारे पालन पोषण करने में उन्होंने इतना कष्ट उठाया कि उनका स्वभाव बदल गया.

              
            7.  सांत्वना पुरस्कार सिर्फ स्कूल में  देखने को मिलते है, कुछ स्कूलों में तो पास होने तक भी परीक्षा दी जा सकती है, लेकिन बाहर की दुनिया के नियम अलग हैं, वहां हारने वाले को अलग से कोई मौका नहीं मिलता.

              
            8.  जीवन के स्कूल में कक्षाएं और वर्ग नहीं होते और वहां महीने भर की छुट्टी भी नहीं मिलती, आपको सिखाने के लिए कोई समय नहीं देता, यह सब आपको खुद करना होता है.

              
            9.  TV का जीवन सही नहीं होता और जीवन TV के सीरियल नहीं होते, सही जीवन में आराम नहीं होता सिर्फ और सिर्फ काम होता है.

         
            10. लगातार पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने मित्रों को कभी मत चिढ़ाओ, वर्ना एक समय ऐसा आ सकता है कि तुम्हें उनके नीचे काम करना पड़े.

मंगलवार, 31 मई 2016

हास्य-उर्जा 1


           पत्नी ने सुबह उठते ही अपने पति को पंखे से रस्सी बांधतेदेखा,  तो घबराकर पूछा, "यह आप क्या कर रहे हो जी...?"
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          पति ने दुखी स्वर में कहा, "मैं तेरी रोज़-रोज़ की नए कपड़े दिलाने की फरमाइशों से तंग आ गया हूं, इसलिए खुदकुशी करने जा रहा हूं..."

           पत्नी ने दहाड़ें मार-मारकर रोना शुरू कर दिया, और बोली, "एक सफेद सूट तो दिलवा दो, वरना तेरहवीं पर क्या पहनूंगी...?"




          पत्नी  ICU  में थी..
          पति का रो-रोकर बुरा हाल था डॉक्टर बोला ‘हम पूरी कोशिश कर रहे  हैं, पर वह कुछ बोल ही नहीं रही है, शायद कोमा में है, अब तो सब कुछ भगवान के ही हाथ में है.
           पति बोला~ सिर्फ 40 की ही तो है अभी...
           तभी एक चमत्कार दिखा..
           ECG और धड़कन बड़ने लगी,  पत्नी की उंगली हिली,  होंठ हिले और आवाज आई - "38 की हूँ"

 

           पति - मुझे अजीब सी बीमारी हुई है मेरी बीवी जब बोलती है तो मुझे सुनाई नहीं देता.
           हकीम - माशाल्लाह ये बीमारी नहीं ये तुम पर खुदा की रहमत हुई है ।
 

शिक्षक:
           1.  उसने बर्तन धोये
           2.  उसे बर्तन धोने पड़े
           इन दोनों वाक्यों में क्या फर्क है ?
           छात्र:  पहले वाक्य में कर्ता अविवाहित है और दूसरे वाक्य में कर्ता विवाहित है.
           सुनकर मास्टर साहब की आँखों में आँसू के रेले बहने लगे ।



        एक दिन – निम्बु, केला और नारियल तीनों साथ में बैठे अपनी-अपनी कहानी सुना रहे थे !

           1.  निम्बु - लोग बड़ी बेरहमी से मुझे बीच में से काटते हैं और पूरी तरह से निचोड़ लेते हैं !

           2.   केला -  ये तो कुछ भी नहीं, बेशर्म मुझे तो नंगा कर के खा जाते हैं !


          3.   नारियल - अपनी आपबीती सुनाते हुए, ये तो कुछ भी नहीं भाईयो,  साले कमीने मुझे इतना जोर से पत्थर पर मारते हैं कि, मेरी सुसु निकल जाती है और ये उसे भी गिलास में ले के पी जाते हैं....!



            कजूंस सिंधी ने मिठाई की दुकान खोली, अखबार में विज्ञापन दिया - हेल्पर चाहिये.

            योग्यता - डायबिटीज़ अनिवार्य.



 दिल से पढें- 

जीवन में आने वाली हर चूनौती को स्वीकार करें ।......
अपनी पसंद की चीजों के लिये खर्चा कीजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....

आप कितना भी बूरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस कीजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दीजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जाइये ।

क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
के जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चुकी है।.....

हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी,पर" हर पल में खुश हूँ "काम में खुश हूं,"आराम में खुश हूँ ,

"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,

"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,

"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,

"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,

"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,


Be Happy Always
 

रविवार, 22 मई 2016

पति-पत्नी और नोक-झोंक...


मैं रूठा, तुम भी रूठ गए, फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी, फिर भरेगा कौन ?

मैं चुप, तुम भी चुप, इस चुप्पी को फिर तोड़ेगा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से, तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?

दु:खी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर, सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी, फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?

डूब जाएगा यादों में दिल कभी, तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ? 
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें,
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?



अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया
कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया

आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया
कभी  वो  हंस पड़े  कभी मैं मुस्करा दिया

रूठ कर बैठे  रहने से  घर भला कहाँ चलते हैं
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी मैंने मना लिया

खाने पीने  पे  विवाद कभी होने  ही  न दिया
कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया

मियां हो या बीबी,  महत्व में तो कोई कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए, कभी उन्हें बॉस बना दिया.

For : All the lovely Couples..
 

शुक्रवार, 20 मई 2016

तुलना...! मार्बल फर्श और मूर्ति की.

If you don't, you'll find an excuse."




           एक ट्रक में मारबल का सामान जा रहा था, उसमे टाईल्स भी थी, और भगवान की मूर्ति भी थी ! 
         
          रास्ते में टाईल्स ने मूर्ति से पूछा- "भाई ऊपर वाले ने हमारे साथ ऐसा भेद-भाव क्यों किया है ?" 

          मूर्ति ने पूछा, "कैसा भेद भाव ?"

          टाईल्स ने कहा- "तुम भी पत्थर, मै भी पत्थर !

          
तुम भी उसी खान से निकले, मै भी,

          
तुम्हे भी उसी ने ख़रीदा बेचा, मुझे भी,

          तुम भी मन्दिर में जाओगे, मै भी,

          
किंतु वहां तुम्हारी पूजा होगीऔर मै पैरो तले रौंदा जाउंगा । ऐसा क्यों ?"

          मूर्ति ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया-

          तुम्हे जब तराशा गया, तब तुमसे दर्द सहन नही हुवा .और तुम टूट गयेटुकड़ो में बंट गये ।

         
और मुझे जब तराशा गया तब मैने दर्द सहा, .मुझ पर लाखों हथोड़े बरसाये गयेमैं रोया नही ! .मेरी आँख बनी, कान बने, हाथ बना, पांव बने, फिर भी मैं टूटा नही । .इस तरह मेरा रूप निखर गया, और मै पूजनीय हो गया ।

          तुम भी दर्द सहते तो तुम भी पूजे जातेमगर तुम टूट गए, और टूटने वाले हमेशा पैरों तले रोंदे जाते है ।
शिक्षा :-

.          भगवान जब आपको तराश रहा हो, तो  टूट मत जानाहिम्मत मत हारना । अपनी रफ़्तार से आगे बढते जानामंजिल जरूर मिलेगी ।

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मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैंक्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतर तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं ।
  
"रख हौसला मुसाफिर, वो मंज़र भी आयेगा;
प्यासे के पास चलकर, खुद समंदर भी आयेगा ।
.थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर;
.मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा ।"

          लोहा नरम होकर औजार बन जाता है, सोना नरम होकर जेवर बन जाता हैमिट्टी नरम होकर खेत बन जाती हैआटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है ! ऐसे ही इंसान भी अगर नरम रहे, तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना ही लेता है !

सदैव बेहतर की उम्मीद करे ! "खुश रहिये मुस्कुराते रहिये" ।

ऐतिहासिक शख्सियत...

पागी            फोटो में दिखाई देने वाला जो वृद्ध गड़रिया है    वास्तव में ये एक विलक्षण प्रतिभा का जानकार रहा है जिसे उपनाम मिला था...