सेठाणीजी नाराज होकर बोली - "जो म्हारो ब्याव कोई असली राक्षस सु भी हो जातो ना; तो भी वो मन्ने थारैसुं जादा सुखी रांखतो ।"
मारवाड़ी सेठजी - यो तो बिलकुल ही कोनी हो सकतो थो ।
सेठाणीजी - क्यू कोनी हो सकतो थो ?
सेठजी - अये बावळी ! आपणा लोगां में एक ही गोत्र में ब्याव कोनी होवै. ।
एक बार एक Punjabi कुए में गिर गया... ...और जोर जोर से रोने लगा !
एक मारवाड़ी वहाँ से जा रहा था उसने आवाज सुनी तो रुका और बोला : "कुण है भाई ?"
Punjabi : अस्सी हाँ !
मारवाड़ी: "भाई ! थे एक-दो होता, तो काड देतो...
80 तो म्हारै बाप से बी कोणी निकळै !" पड्या रेओ !
मारवाड़ी सेठजी - यो तो बिलकुल ही कोनी हो सकतो थो ।
सेठाणीजी - क्यू कोनी हो सकतो थो ?
सेठजी - अये बावळी ! आपणा लोगां में एक ही गोत्र में ब्याव कोनी होवै. ।
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एक बार एक Punjabi कुए में गिर गया... ...और जोर जोर से रोने लगा !
एक मारवाड़ी वहाँ से जा रहा था उसने आवाज सुनी तो रुका और बोला : "कुण है भाई ?"
Punjabi : अस्सी हाँ !
मारवाड़ी: "भाई ! थे एक-दो होता, तो काड देतो...
80 तो म्हारै बाप से बी कोणी निकळै !" पड्या रेओ !
मारवाडी सीख :
1. चौखी संगत में उठणो बैठणो ।
2. काम स काम राखणो ।
3. ऊड़तो तीर नही पकडनो ।
4. घणो लालच कोनी करणो ।
5. सोच समझकर पग राखणो ।
6. रास्ते आणो, रास्ते जाणो ।
7. जितो हो सके उतो कम बोलणो ।
8. छोटा-मोटा को कायदो राखणो।
14. बीच में ही लाडे की भुवा नी बणनो ।
15. सुणनी सबकी करणी मन की ।
9. जितो पचे उतो ई खाणो । (पेट खुदको होवे ।)
10. पूच्छ्या बीना सलाह नी देणो ।
11. पराई पंचायती नी करणी ।
12. आटा मे लूण समावे, लूण मे आटो कोनी ।
13. पगा बलती देखणी ढूंगा बलती कोणी ।
14. बीच में ही लाडे की भुवा नी बणनो ।
15. सुणनी सबकी करणी मन की ।
अठे हर कोई भरे बटका
घुमाबा नहीं ले जावां, तो घराळी भरे बटका ।
घराळी रो मान ज्यादा राखां, तो माँ भरे बटका ।
कोई काम कमाई नहीं करां, तो बाप भरे बटका ।
पॉकेट मनी नहीं देवां, तो बेटा भरे बटका ।
कोई खर्चो पाणी नहीं करां, तो दोस्त भरे बटका ।
थोड़ो सो कोई न क्यूं कह दयां, तो पड़ौसी भरे बटका ।
पंचायती में नहीं जावां, तो समाज भरे बटका ।
जनम मरण में नहीं जावां, तो सगा संबंधी भरे बटका ।
छोरा छोरी नहीं पढ़े, तो मास्टर भरे बटका ।
पुरी फीस नहीं देवां, तो डॉक्टर भरे बटका ।
गाड़ी का कागज पानड़ा नहीं मिले, तो पुलिस भरे बटका ।
मांगी रिश्वत नहीं देवां, तो अफसर भरे बटका ।
टाइम सूं उधार नहीं चुकावां, तो सेठ भरे बटका ।
टेमूं टेम किश्त नहीं चुकावां, तो बैंक मैनेजर भरे बटका ।
नौकरी बराबर नहीं करां, तो बॉस भरे बटका ।
फेसबुक पर लाइक कमेंट नहीं करां, तो फ्रेंड भरे बटका ।
अब थे ही बताओ, जावां तो कठे जावां,
अठे हर कोई भरे बटका, अठे हर कोई भरे बटका।
घुमाबा नहीं ले जावां, तो घराळी भरे बटका ।
घराळी रो मान ज्यादा राखां, तो माँ भरे बटका ।
कोई काम कमाई नहीं करां, तो बाप भरे बटका ।
पॉकेट मनी नहीं देवां, तो बेटा भरे बटका ।
कोई खर्चो पाणी नहीं करां, तो दोस्त भरे बटका ।
थोड़ो सो कोई न क्यूं कह दयां, तो पड़ौसी भरे बटका ।
पंचायती में नहीं जावां, तो समाज भरे बटका ।
जनम मरण में नहीं जावां, तो सगा संबंधी भरे बटका ।
छोरा छोरी नहीं पढ़े, तो मास्टर भरे बटका ।
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गाड़ी का कागज पानड़ा नहीं मिले, तो पुलिस भरे बटका ।
मांगी रिश्वत नहीं देवां, तो अफसर भरे बटका ।
टाइम सूं उधार नहीं चुकावां, तो सेठ भरे बटका ।
टेमूं टेम किश्त नहीं चुकावां, तो बैंक मैनेजर भरे बटका ।
नौकरी बराबर नहीं करां, तो बॉस भरे बटका ।
फेसबुक पर लाइक कमेंट नहीं करां, तो फ्रेंड भरे बटका ।
अब थे ही बताओ, जावां तो कठे जावां,
अठे हर कोई भरे बटका, अठे हर कोई भरे बटका।
2 टिप्पणियां:
रोचक प्रस्तुति
मारवाडी भाषा री पोस्ट ,मजो आजाई पढ़ो तो सही एक बार click here
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